रायपुर। Raipur News केंद्र सरकार के डिजिटल अर्थिक सर्वेक्षण और जनगणना पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निशाना साधा है। कोंडागांव रवाना होने से पहले हैलीपैड पर मीडिया से चर्चा में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि डिजिटल सर्वेक्षण का मतलब सरकार नहीं चाहती कि जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण हो। 75 सालों में हम जहां पहुचे है, उसमें हर वर्ग की जातियां हैं, जो पिछड़ गए हैं। जब तक जातीय गणना नहीं होगी, तब तक वो पिछड़े रहेंगे। उच्च वर्ग में भी बहुत सारी ऐसी जातियां हैं, जो पिछड़ी हुई हैं। गणना नहीं होने से उनके जीवन में बदलाव नहीं आया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक डाटा नहीं होगा, तब तक उनको विकास से कैसे जोड़ा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम आवास को लेकर भाजपा ने खूब हल्ला किया। उसके लिए हमने सर्वेक्षण कराया, उसके बाद हमारे पास डाटा है। जब हम एक महीने में गणना कर सकते हैं, तो केंद्र सरकार क्यों नहीं कर सकती। जब तक डाटा नहीं होगा, तब तक सबको कैसे हक मिलेगा।
दस लाख सदस्य, फिर भी लोग छूट गए
समाज प्रमुखों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भाजपा प्रवेश पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग प्रवेश कर रहे हैं, वह किसी भी दल से जुड़े नहीं हैं। भाजपा के दस लाख सदस्य हैं, फिर भी ये लोग छूट गए थे। अनुज शर्मा पहले से ही भाजपा के लिए काम करते रहे हैं। वो किसी दल से भाजपा में नहीं आए है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के छत्तीसगढ़ दौरे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं जब बस्तर गया था, तब कहा जा रहा था, प्रधानमंत्री आने वाले हैं। यहां आया तो पता चला केंद्रीय गृह मंत्री आ रहे हैं। मीडिया से पता चला है कि नड्डा भी आ रहे है। चुनाव है इसलिए सब आएंगे। अभी चार महीने बचे हैं, इसलिए सब आकर प्रदेश सरकार के कामों को देखेंगे।
चुनाव आते-आते प्रभारी न बदल जाएं
मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि मुझे लगता है कि चुनाव आते-आते भाजपा के प्रदेश प्रभारी ना बदल जाए। डी पुरंदेश्वरी और अजय जामवाल बदल दिए गए। नितिन नबीन भी हासिये पर है। इसी तरह की स्थिति वरिष्ठ नेता ओम माथुर की है। माथुर अकेले बस्तर घूम आए, जब तक स्थानीय नेता साथ नहीं होगा, तो क्या होगा।
बिना लड़ाई- झगड़े के भाजपा का अस्तित्व खतरे में
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि जब-जब देश के पीएम अच्छा काम करते हैं, तब-तब राहुल गांधी को अच्छा नहीं लगता। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जेपी नड्डा को भाजपा गंभीरता से नहीं लेती। उनके बयान को हम लोग भी गंभीरता से नहीं लेते हैं। केंद्रीय कार्यालय के उद्घाटन के दौरान नड्डा को पीछे खिंचा गया। जब से नड्डा अध्यक्ष बने हैं, तबसे उन्होंने अपने ही प्रदेश में भाजपा को हरा दिया। उसके बाद कर्नाटक भी हार गए। नड्डा को चुना कौन है, यह आज तक पता नहीं चला है। जहां तक राहुल गांधी की बात है, तो राहुल नफरत के बाजार में प्यार की दुकान खोलकर बैठे हैं। जहां जाते हैं, प्यार की बात करते हैं। जोड़ने की बात करते हैं, इसलिए भाजपा को तकलीफ है। बिना लड़ाई-झगड़े के भाजपा का अस्तित्व खतरे में रहता है। जब तक दो समाज, दो धर्म के लोग नहीं लड़ेंगे, तब तक भाजपा का स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है।