राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: समाज कल्याण विभाग में हुए 1,000 करोड़ रुपये के एनजीओ घोटाले में आरोपित रहे सभी अधिकारी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिनमें दो पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और सुनील कुजूर भी शामिल हैं। ये स्थिति तब है जब इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह की कमेटी ने जांच करके अनियमितताओं की जानकारी देते हुए रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसके आधार पर आगे जांच होनी थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
विभागीय जिम्मेदारों का तर्क कि तब तक मामला कोर्ट में चला गया था, इसके कारण विभागीय कार्रवाई नहीं हो पाई और सभी आरोपितों को सेवानिवृत्ति के बाद नो ड्यूज प्रमाणपत्र व पेंशन दे दी गई। अब हाईकोर्ट ने रोक हटाते हुए सीबीआइ को 15 दिनों के भीतर सोसायटियों से जुड़े दस्तावेज जब्त करने और दर्ज एफआइआर पर कार्रवाई तेज करने का आदेश दिया है। जानकारों का कहना है कि जांच में दोष सिद्ध होने पर सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन रोकने और नुकसान की वसूली करना सरकार के लिए चुनौती होगी।
वर्ष 2004 में हुए एनजीओ घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ, आइएएस एमके राउत, डा.आलोक शुक्ला, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल समेत 11 वरिष्ठ आइएएस और राज्य सेवा अधिकारी शामिल हैं। राज्य स्तर के अधिकारियों में सतीश पांडेय,पीपी श्रोती के साथ राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा पर आरोप हैं।
बता दें कि मामला सामने आने के बाद पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और एमके राउत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को जिम्मेदारी से अलग बताया था, जिसके बाद जांच पर रोक लग गई थी। लेकिन पिछले दिनों शीर्ष अदालत ने मामला हाईकोर्ट को वापस भेज दिया। हाईकोर्ट ने सीबीआइ को पुरानी एफआइआर पर जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। अब सीबीआइ जल्द ही इन अफसरों पर शिंकजा कस सकती है।
नईदुनिया टीम ने पड़ताल की तो पाया कि घोटाले में शामिल सतीश पांडेय वर्तमान में नवा रायपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हैल्थ साइंस एंड आयुष विश्व विद्यालय में संविदा में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। छह महीने पहले ही उन्होंने विवि ज्वाइन दी है। पांडेय फाइनेंस सर्विस वाले राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे है। एनजीओ घोटाले के समय वे उपसचिव वित्त के पद पर कार्यरत थे।
पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह की कमेटी ने इस पूरे घोटाले को उजागर किया था लेकिन आइएएस के साथ तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री रेणुका सिंह भी जांच के घेरे में आ गई। इसलिए मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
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इसके बाद लता उसेंडी,रमशिला साहू और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रही अनिला भेड़िया और वर्तमान मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े तक ने आरोपित पूर्व आइएएस अधिकारियों समेत अन्य पर कोई कार्रवाई नहीं की। जानकारों का कहना है कि यदि कोर्ट में यह मामला था और एफआइआर भी दर्ज था तो आरोपित बनाए गए अफसरों का पेंशन का क्लेम बनना नहीं चाहिए था,इसकी जांच होनी चाहिए।
यह मामला कोर्ट में लंबित था और वर्तमान में क्या स्थिति है,इसकी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कह पाउंगी।
लक्ष्मी राजवाड़े, मंत्री,महिला एवं बाल विकास विभाग।
एनजीओ घोटाले में किसी भी जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्रवाई इसलिए नहीं हुई कि ये खुद मालिक और नौकर थे।मेरे कार्यकाल में मामला कोर्ट में चल रहा था,इसलिए मैं क्या कर सकती थी।
-अनिला भेड़िया, पूर्व मंत्री,महिला एवं बाल विकास विभाग