जितेंद्र सिंह दहिया, रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) में दवा कंपनी नाइन एम को फायदा पहुंचाने के लिए बड़ा खेल खेला गया है। सीजीएमएससी के अधिकारियों को अलग-अलग अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से 44 से ज्यादा पत्र भेज गए, जिसमें दवाओं की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत की गई।
सीजीएमएससी की शर्तों में साफ है कि तीन बैच फेल होने के बाद कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाता है। कंपनी को बचाने के लिए सीजीएमएससी के द्वारा चलाई गई नोटशीट में बचाव साफ दिखाई दे रहा है। सप्लाई के पहले जिस लैब से दवाओं की जांच की गई थी, उसी लैब को अनुशंसा कर खुद सीजीएमएससी के अधिकारी द्वारा दोबारा जांच कराई गई, जबकि सीजीएमएससी में आठ लैब पंजीकृत हैं।
इसके अलावा क्लीन चिट देने के लिए सीजीएमएससी के सभी नियम कायदों को दरकिनार किया गया। इस संबंध में नईदुनिया ने पूरी नोटशीट पढ़ी, जिसमें साफ दिख रहा है कि महाप्रबंधक तकनीकी हिरेन पटेल द्वारा बार-बार कंपनी को बचाने के लिए अलग-अलग टीप लिखी गई है।
सीजीएमएससी की गुणवत्ता शाखा (क्वॉलिटी कंट्रोल) ने बार-बार दवा की शिकायत मिलने पर अनुशंसा की थी कि टैबलेट को तीन अलग-अलग लैब में जांच के लिए भेजा जाए, जिससे सही रिपोर्ट मिल सके।
मगर, तत्कालीन प्रबंध संचालक ने एक लैब में जांच के आदेश दिए। इसकी रिपोर्ट तो सही आई, लेकिन गुणवत्ता खराब होने की शिकायतें अस्पतालों से लगातार आती रहीं।
इंद्रिय परीक्षण में भी दवा की खराब गुणवत्ता का मान्य किया जाता है। यदि दवा की जांच होती है तो दूसरी लैब से जांच कराना चाहिए। दवा कंपनी को दो साल के लिए ब्लैक लिस्टेड करने का नियम है। तीन बैच खराब होने पर गुणवत्ता परीक्षण का नियम नहीं है।
दवाओं की सप्लाई के पहले गुणवत्ता जांच होती है। जिस लैब में पहले जांच कराई जाती है उसके बजाय अन्य लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। ज्यादा जानकारी महाप्रबंधक तकनीकी दे पाएंगे। - लक्षमण खेलवार पूर्व गुणवत्ता नियंत्रक, सीजीएमएससी
उप प्रबंधक गुणवत्ता नियंत्रण ने दो मई 2024 को जनरल मैनेजर तकनीकी को फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए नस्ति बढ़ाई। इस पर जनरल मैनेजर तकनीकी ने कंपनी को बचाने के लिए दो निर्देश जारी किए।
पहला पूर्व मे हुए गुणवत्ता परीक्षण में स्टेबिलिटी टेस्ट करवाने के संबंध में जवाब मांगा गया। महासमुंद दवा गोदाम मे पदस्थ उपप्रबंधक को भौतिक परीक्षण करने के लिए निर्देशित किया गया।
30 मई 2024 को पत्र के माध्यम से डाईसायकलोंमीन टैबलेट बैच आरटी 22054 की खराब गुणवत्ता की फिर से शिकायत प्राप्त हुई। वितरण से पूर्व इस बैच का परीक्षण कैट्स लैब एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने किया था। इसकी रिपोर्ट मे उक्त औषधि स्टैंडर्ड क्वालिटी की पाई गई थी।
बार- बार इसी दवा की शिकायत मिलने से समस्त बैच का उठाव करने का प्रस्ताव उप प्रबंधक गुणवत्ता नियंत्रण ने किया। इससे असहमत होते हुए जनरल मैनेजर तकनीकी ने केवल शिकायत प्राप्त स्थलों से उठाव के लिए निर्देशित किया।
शिकायत में साफ-साफ बताया गया था कि टैबलेट पैकेट में ही काली हो रही हैं। पैकेट खोलते ही भुरभुरी होकर टूट रही हैं। तीनों बैच के उपयोग पर रोक लगा दी गई। पूरे स्टाक को सीजीएमएससी के खर्चे पर अस्पतालों से सीजीएमएससी के गोदामों में वापस मंगवा लिया गया था।
नईदुनिया को गोदामों के सहायक प्रबंधक ने बताया की अधिकारियों द्वारा टैबलेट स्वीकार करने (एमआरसी) बनने के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष दबाव डाला जाता था।