रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश का प्रमुख छठ पर्व रायपुर में भी श्रद्धा-उल्लास से मनाया जाता है। बिहार से रोजी-रोटी कमाने आए कुछ लोगों ने लगभग 45 साल पहले बिरगांव के व्यास तालाब में छठ पूजा की शुरुआत की थी। इसके बाद साल दर साल कई परिवार जुड़ते गए। अब हजारों लोग यहां पूजा करने के लिए जुटते हैं। इसके अलावा खारुन के महादेव घाट में 20 साल पहले एक-दो परिवार के 15 लोगों ने पूजा से शुरुआत की थी। अब यहां सबसे बड़ा आयोजन होता है। 50 हजार से अधिक लोग पूजा करने घाट पर आते हैं।
व्यास तालाब बिरगांव, इस बार 51 हजार प्रसाद ठेकुआ का वितरण
करणी सेना के जिला अध्यक्ष रवींद्र सिंह बताते हैं कि बिरगांव का व्यास तालाब अब छठ व्यास तालाब के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है। सत्येंद्र सिंह का कहना है कि 45 साल पहले व्यास तालाब से ही छठ पूजा शुरू हुई थी। अब आयोजन का काफी विस्तार हो चुका है। भोजपुरी, उत्तर भारतीय और पूर्वांचल के लोग हीरापुर, भनपुरी और उरला जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में काफी संख्या में निवासरत हैं, जिन्होंने ट्रांसपोर्ट और लोहा व्यापार में अपना रोजगार स्थापित किया।
आज वर्तमान में छठ व्यास तालाब बिरगांव की भव्यता देखते ही बनती है। राष्ट्रीय करणी सेना ने आयोजक के रूप में छठ व्यास तालाब को एक तरह से गोद ले लिया है। सारा खर्च करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह तोमर अपने सहयोगी और अपने साथियों के साथ वहन कर रहे हैं। इस बार 51 हजार पारंपरिक प्रसाद ठेकुआ के पैकेट का वितरण किया जाएगा। इस बार छठ व्यास घाट तालाब में कई मंत्री, नेता और विधायकों की उपस्थिति रहेगी और करीब 15 से 20 भोजपुरी लोक कलाकारों की प्रस्तुति दी जाएगी, जिसमें झांकी भी होगी।
महादेव घाट में 15 वर्ष पूर्व अभय सिंह ने की छठ पूजा की शुरुआत
15 वर्ष पूर्व श्री लेदर शोरूम, जो फूल चौक में हुआ करता था, उसके संचालक अभय सिंह ने महादेव घाट से छठ पूजा आरंभ की थी। वे मूलत: बिहार के रहने वाले थे। इस वजह से उन्हें हर वर्ष गांव जाना पड़ता था। व्यवसाय के चलते उन्होंने रायपुर में ही आयोजन का विचार किया। इसके बाद उन्होंने खारुन नदी के महादेव घाट पर छठ पूजा की शुरुआत की।
उस समय बहुत ही संकीर्ण और छोटा-सा घाट हुआ करता था। करीब 15 से 20 लोगों के साथ छठ पूजा आरंभ की और फिर लगातार 5 वर्षों तक करते गए। धीरे-धीरे वहां संख्या 15 से 20 परिवार से 50-100 के आसपास परिवार का विस्तार होता गया। जब व्यय बढ़ता गया, तब उन्होंने महादेव घाट, जहां पर छठ पूजा होती थी, उसका पूरा अधिभार राजेश सिंह, जो पेशे से बड़े ठेकेदार हैं और बिहार से थे, उनको कार्यभार सौंप दिया।
बिहार और यूपी के लोग से साधा संपर्क
राजेश सिंह ने रणनीति बनाकर कार्य करना आरंभ किया। रायपुर में जितने भी बिहार और उत्तर प्रदेश के रहवासी रह रहे थे उनसे संपर्क करना आरंभ किया। धीरे-धीरे संपर्क करने से सदस्यों की संख्या बढ़ती गई, जिसमें काफी लोग सक्षम थे।
आर्थिक रूप से उन्होंने अपनी तरफ से सहयोग राशि देना आरंभ किया। फिर डीके शर्मा को प्रचार का जिम्मा सौंपा। धीरे-धीरे मीडिया में इसका प्रचार प्रसार होने लगा और भक्तों तक इसकी जानकारी होने लगी। तब छठ महापर्व आयोजन समिति महादेव घाट का रजिस्ट्रेशन कराया गया। इसके आयोजन प्रमुख राजेश सिंह बनाए गए।
लाइटिंग और सफाई का खर्च उठाती है समिति
महादेव घाट में सूर्य उपासकाें और छठ व्रतियों की संख्या बढ़ती चली गई और यह संदेश मीडिया के माध्यम से प्रशासन और निगम तक पहुंचा। तब प्रशासन भी सक्रिय हुआ और धीरे-धीरे महादेव घाट का विस्तार किया गया। आज महादेव घाट भव्य स्वरूप ले चुका है।
लाइटिंग और साफ-सफाई की व्यवस्था का खर्च छठ समिति के द्वारा उठाया जाता है। समिति के सदस्य दीपावली के अगले दिन से अपना श्रमदान देते हैं। लगातार घाट पर सुबह छह बजे पहुंचकर साफ-सफाई अभियान में लग जाते हैं। इससे यह पता चलता है कि इस छठ पूजा की क्या पवित्रता है और छठ व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास करती है।
महादेव घाट पर बड़े कलाकार देते हैं प्रस्तुति
महादेव घाट पर अब भोजपुरी समाज के बड़े-बड़े लोग कलाकार छठ गीत के साथ लोक संगीत की रात भर प्रस्तुति देते हैं और आने वाले श्रद्धालु उसका पूरा आनंद लेते हैं। यहां पर शुद्ध घी का प्रसादी भंडारे का भव्य आयोजन किया जाने लगा है। इसमें करीब 35 से 40 हजार लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।
इस आयोजन का बजट 50 लाख तक पहुंच चुका है। कार्यक्रम की भव्यता को देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से भक्तजन आने लगे हैं। इसके अलावा हीरापुर, आमापारा, मलसाय तालाब, बूढ़ा तालाब, गुढ़ियारी तालाब में भी छठ पूजा करने श्रद्धालु पहुंचते हैं।