नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: प्रदेश में 81 लाख राशन कार्डधारियों को एक साथ तीन महीने का चावल बांटने की सरकार की योजना पूरी तरह विफल हो गई है। जून माह के समाप्त होने में केवल एक दिन बचा है, लेकिन अब तक बमुश्किल 48 प्रतिशत चावल ही बांटा जा सका है। एनएआइसी वितरण सर्वर कल से बंद हो जाएगा, क्योंकि अभी तक केंद्र सरकार से वितरण की तारीख 20 जुलाई तक करने के के लिए केंद्र को भेजे गए पत्र पर कोई जवाब नहीं आया। बता दें कि कई स्थानों पर लाभार्थियों को केवल एक या दो माह का चावल देकर बाकी अगले महीने देने की बात कही जा रही है।
'चावल उत्सव' के नाम पर न केवल हितग्राहियों को उचित मूल्य दुकानों तक बुलाया गया, बल्कि गोदामों में चावल की अनुपलब्धता, संचयन की असमर्थता, और कुछ स्थानों पर 20 रुपये किलो की दर से नकद भुगतान की बातें भी सामने आ रही हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि योजना को बिना तैयारी के लागू किया गया। इसके अलावा नई ई-पाश मशीन का सर्वर भी वितरण में बाधा बन रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुआ 'चावल उत्सव' हर माह की पहली तारीख को आयोजित किया जाता था। इसका उद्देश्य था कि राशन वितरण जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पारदर्शिता और जनसहभागिता के साथ हो।
इसकी व्यवस्था छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 की धारा 7(10) एवं आवंटन प्राधिकार पत्र की कंडिका 25 में भी उल्लेखित है। नगरीय क्षेत्रों में विधायक, महापौर, पार्षद तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच, पंच, जनपद सदस्य इसमें सम्मिलित होते थे। हर राशन दुकान पर निगरानी समिति का गठन अनिवार्य था। वितरण की जानकारी जनभागीदारी पोर्टल पर आनलाइन प्रकाशित की जाती थी।
पिछले छह सालों से प्रदेश में किसी भी स्थान पर चावल उत्सव नहीं मनाया जा रहा है। जनभागीदारी पोर्टल से इससे संबंधित मॉड्यूल भी हटा दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पारदर्शिता की पुरानी परंपरा अब खत्म हो चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों की सलाह पर ही तीन माह का राशन एक साथ बांटने का फैसला लिया गया था। लेकिन जब वितरण व्यवस्था चरमराई, तो आवश्यक नागरिक आपूर्ति निगम और परिवहन ठेकेदारों को दोषी ठहराया जा रहा है। जबकि परिवहन निविदा के दौरान चार माल वाहक की अनिवार्यता है। अचानक परिवहन ठेकेदार और हम्माल की संख्या में छह गुना इजाफा करने को कहा गया, जो संभव नहीं है।