CG Liquor Scam: मंत्री बंगले तक हर महीने पहुंचता 3.5 करोड़ का 'मिठाई और सामान', भ्रष्टाचार में रंगी 1,100 पन्नों की चार्जशीट
Chhattisgarh Liquor Scam मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने रायपुर के विशेष अदालत में चौथा पूरक चालान पेश किया है। इस चालान में 2161 करोड़ के घोटाले से जुड़ा सारा कच्चा चिट्ठा है। घोटाले में पूर्व मंत्री लखमा की संलिप्तता के पूरे सबूत है। शनिवार को 29 आबकारियों अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में पांचवीं रिपोर्ट पेश की जाएगी।
Publish Date: Sat, 05 Jul 2025 09:56:42 AM (IST)
Updated Date: Sat, 05 Jul 2025 10:01:42 AM (IST)
कवासी लखमा के पास पहुंचता था हर महीने 3.5 करोड़HighLights
- कवासी लखमा ने मंत्री पद का किया दुरुपयोग
- परिवार के लोगों और करीबियों के नाम खपाए पैसे
- आबकारी अधिकारियों के खिलाफ पेश होगी चार्जशीट
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: छत्तीसगढ़ के 2,161 करोड़ के शराब घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने रायपुर की विशेष अदालत में 1,100 पन्नों का चौथा पूरक चालान पेश किया। इसमें तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा के सीधे संलिप्त होने के पुख्ता सबूत पेश किए गए हैं।
चालान के मुताबिक, हर महीने मंत्री लखमा के रायपुर स्थित सरकारी बंगले में लगभग 3.5 करोड़ रुपये नकद पहुंचाए जाते थे। यह रकम ‘मिठाई’ और ‘सामान’ जैसे कोडवर्ड में भेजी जाती थी। रकम आबकारी विभाग के अधिकारियों और एजेंटों की मिलीभगत से सरकारी गाड़ियों में लाकर बंगले तक पहुंचाई जाती थी।
कोर्ट में चलेगा केस, पेश होगी पांचवीं चार्जशाीट
ईओडब्ल्यू 29 आबकारियों अधिकारियों के खिलाफ शनिवार को कोर्ट में पांचवीं चार्जशीट पेश करेगी। अधिकारियों का कहना है कि बिना गिरफ्तारी के 29 से ज्यादा आबकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया जा रहा है। जांच एजेंसी इन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी। अदालत में इनके खिलाफ मुकदमा चलेगा। आरोप सिद्ध होने पर अदालत के निर्देश पर ही गिरफ्तारी होगी।
साथ ही अधिकारियों ने बताया कि यदि ये अधिकारी पेशी में उपस्थित नहीं होंगे तो गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। इसमें से 16 अधिकारी अभी नौकरी पर हैं, जबकि 12 अधिकारी रिटायर हो गए हैं। घोटाले में शामिल एक अधिकारी की बीमारी से मौत हो चुकी है।
ढेबर के जरिए डेढ़ करोड़ पहुंचते थे
चालान के अनुसार, सरकारी शराब दुकानों से बेची गई बी-पार्ट शराब से हर महीने अनवर ढेबर द्वारा 1.5 करोड़ रुपये की एक अलग राशि मंत्री लखमा को पहुंचाई जाती थी। इस पैसे को अमित सिंह, इंदरदीप सिंह गिल उर्फ इनू, प्रकाश शर्मा उर्फ छोटू और कमलेश नाहटा जैसे एजेंटों के माध्यम से पहुंचाया जाता था।
40 लाख पेटी अवैध शराब की बिक्री
जांच में यह भी सामने आया है कि सिंडिकेट ने आबकारी अधिकारियों और शराब दुकान कर्मचारियों की मिलीभगत से करीब 40 लाख पेटियों की फर्जी शराब बेची है। इसके लिए डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 600 रुपए तक वसूले गए।
भ्रष्टाचार के पैसों को रिश्तेदारों के नाम पर खपाया
- कवासी : 2.24 करोड़ का मकान
- बेटा हरीश कवासी- 1.40 करोड़ का मकान, 7.46 लाख की जमीन, 45 लाख का अन सिक्योर्ड लोन
- बहू शीतल: 21 लाख की जमीन
- बेटी संगीता कवासी: 4.36 लाख में पेट्रोल पंप के लिए जमीन
- बेटी बोंके कवासी: 58 लाख रुपये की जमीन
- रिश्तेदार कवासी भीमा: 4.10 करोड़ का जगदलपुर में सीमेंट फैक्ट्री
- कर्मचारी राजेश नारा: 44.26 लाख की जमीन
- कारोबारी जयदीप भदोरिया: 1 करोड़ रुपये उधार दिए
- कांग्रेस भवन सुकमा: 1.33 करोड़ का भुगतान
दो करोड़ रुपये नकद हर महीने ओएसडी के हाथ
ईओडब्ल्यू की जांच में राजफाश हुआ है कि मंत्री लखमा के तत्कालीन विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) जयंत देवांगन को हर महीने दो करोड़ रुपये नकद सौंपे जाते थे। यह राशि आबकारी निरीक्षक कन्हैया लाल कुर्रे, जनार्दन कौरव और इकबाल खान सहित अन्य अधिकारियों की मदद से जुटाई जाती थी। देवांगन इसे बंगले के अलग-अलग कमरों में छिपवाता था।
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- अंतिम अनुमोदन का अधिकार: आबकारी मंत्री रहते हुए कवासी लखमा को विभाग में सभी निर्णयों का अंतिम अनुमोदन देने का अधिकार प्राप्त था, जिससे वे हर प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका में थे।
- हर वैध-अवैध गतिविधि की जानकारी: लखमा को विभाग में चल रही सभी वैध और अवैध प्रक्रियाओं की स्पष्ट जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उन्हें रोकने के बजाय नजरअंदाज किया।
- कमीशनखोरी और समानांतर बिक्री का नेटवर्क: शासकीय शराब दुकानों में बिना ड्यूटी चुकाई पेटियों की समानांतर बिक्री। ठेके में कमीशनखोरी के जरिए हर महीने करीब दो करोड़ रुपये की अवैध आमदनी होती थी।
- अवैध धन का उपयोग निर्माण कार्य में: आबकारी विभाग से अर्जित इस काले धन का उपयोग सुकमा में कांग्रेस भवन, हरीश कवासी के निजी मकान और लखमा के स्वयं के भवन के निर्माण में किया गया।
- सहयोगियों को नकद बंटवारा: क्षेत्रीय दौरों के समय लखमा अपने खास सहयोगियों और कार्यकर्ताओं को नकद राशि बांटते थे, जिससे स्थानीय राजनीतिक पकड़ मजबूत होती रही।
- राजनीतिक और व्यक्तिगत लाभ: आबकारी घोटाले की राशि का उपयोग राजनीतिक निर्माण (कांग्रेस भवन) और व्यक्तिगत हितों के लिए संपत्ति में किया गया।
- रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीदी: कवासी लखमा ने अवैध कमाई से अपने रिश्तेदारों के नाम पर जमीन, मकान व अन्य चल-अचल संपत्तियां खरीदीं, जिससे सीधा सबूत न मिले।
- शराब घोटाले से अर्थव्यवस्था को चोट: आबकारी विभाग में चल रहे घोटाले ने एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी कर दी थी, जिससे राजस्व की भारी हानि हुई।
मंत्री पद पर रहते हुए कवासी लखमा ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर विभागीय सिस्टम को भ्रष्टाचार से संचालित किया और खुद के हितों को प्राथमिकता दी। अब इस पूरे शराब घोटाले से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।