रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। झीरम घाटी हत्याकांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) की अपील खारिज कर दी है। दरअसल साल 2013 में हुए झीरम घाटी हत्याकांड की जांच एनआइए ने की थी। इस हत्याकांड में हुए षड़यंत्र का राजफाश नहीं होने पर जितेंद्र मुदलियार ने इसकी जांच छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा किए जाने की अपील की थी। जांच एजेंसी एनआइए ने इस अपील पर आपत्ति लगाई गई थी, जिसे खारिज करते हुए कोर्ट ने जांच का आदेश दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब छत्तीसगढ़ पुलिस झीरम कांड की जांच कर सकेगी।
25 मई, 2013 बस्तर के झीरम घाटी में नक्सली हमले में कांग्रेस नेताओं की नृशंस हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में माओवादियों ने कांग्रेस के 32 नेताओं की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड की जांच के लिए बाकायदा केंद्र सरकार द्वारा एनआइए को जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन 10 साल की जांच के बाद भी इस बात का राजफाश नहीं हो सका कि आखिर इतनी बड़ी वारदात के पीछे किसका हाथ था।
कांग्रेस नेताओं द्वारा लगातार छत्तीसगढ़ पुलिस से जांच की मांग की जाती रही। इसके बाद इस मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जितेंद्र मुदलियार द्वारा छत्तीसगढ़ पुलिस से जांच के निर्देश की अपील की गई थी। इसके बाद झीरम घाटी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इस हत्याकांड की जांच एनआइए ने पहले की थी, लेकिन एनआइए ने बृहद षंड़यंत्र की जांच नहीं की थी और जांच को बंद कर दिया था। इतना ही नहीं, जब पुलिस द्वारा झीरम कांड की जांच कराने की याचिका लगाया गया, तब एनआइए ने इस याचिका का भी विरोध किया। एनआइए ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा जांच कराने की अनुमति नहीं देने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर पोस्ट किया कि झीरम कांड पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाजा खोलने जैसा है। झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था। इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था।
कहने को एनआइए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की लेकिन इसके पीछे के वृहत राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की। छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरू की तो एनआइए ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आज रास्ता साफ हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी। किसने किसके साथ मिलकर क्या षड्यंत्र रचा था, सब साफ हो जाएगा।
झीरम कांड की दसवीं बरसी पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और झीरम हत्याकांड में बलिदान हुए महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा ने बड़ी मांग की थी। छविंद्र कर्मा ने अपने ही सरकार के कवासी लखमा, अमित जोगी, रमन सिंह, तात्कालिक बस्तर के आइजी मुकेश गुप्ता तोंगपाल और दरभा थाना के तात्कालिक थाना प्रभारियों के नार्को टेस्ट की मांग की थी।
2021 में जांच आयोग ने छत्तीसगढ़ की तात्कालिक राज्यपाल अनुसुईया उइके को 4,184 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। झीरम आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने राज्यपाल को यह रिपोर्ट सौंपी थी। कांग्रेस सरकार बनने के बाद झीरम कांड में मारे गए राजनांदगांव के कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने झीरम थाने में रिपोर्ट पर दर्ज कराई थी, जिस पर जांच के लिए भूपेश सरकार ने एसआइटी (विशेष जांच एजेंसी) का गठन किया था। इससे पहले एनआइए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) ने छह साल की जांच के बाद 39 नक्सलियों के खिलाफ दो चार्जशीट पेश की और नौ नक्सलियों को गिरफ्तार किया था।