रायपुर। छत्तीसगढ़ के नवगठित 28वें जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही सोमवार को अस्तित्व में आ जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुभारंभ करेंगे, जिसके साथ ही क्षेत्र के लोगों की बहुप्रतिक्षित मांग पूरी होगी। मुख्यमंत्री बघेल ने 15 अगस्त को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की घोषणा की थी।
तीन तहसील और तीन विकासखंड होंगे पूरे जिले में
नवगठित जिले में तीन तहसील तथा तीन विकासखंड गौरेला, पेंड्रा और मरवाही शामिल होंगे। इसमें 166 ग्राम पंचायतें, 222 गांव और 2 नगर पंचायत गौरेला और पेंड्रा समाहित होंगी। जिले का क्षेत्रफल 1 लाख 68 हजार 225 हेक्टेयर होगा। जिले में मरवाही विधानसभा के 200 गांव और कोटा विधानसभा के 25 गांव, कोरबा लोकसभा क्षेत्र के 200 गांव और बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के 25 गांव समाहित होंगे।
यह है नए जिले की खासियत, औषधीय पौधे यहां की पहचान
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही क्षेत्र पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखता है। छत्तीसगढ़ का प्रथम समाचार पत्र छत्तीसगढ़ मित्र का प्रकाशन मासिक पत्रिका के रूप में पेंड्रा से वर्ष 1900 में पंडित माधवराव सप्रे के संपादन में प्रकाशित हुआ था। खनिज संपदा और औषधीय पौधे यहां की पहचान है। यहां के विष्णुभोग चावल की महक पूरे देश में फैली है।
इसलिए बनाया नया जिला
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला दूरस्थ वनांचल में स्थित है। जिला मुख्यालय बिलासपुर से मरवाही तहसील के अंतिम छोर की दूरी लगभग 165 किलोमीटर है। जनसामान्य को शासकीय कार्य के लिए जिला मुख्यालय बिलासपुर आने जाने में अत्यधिक समय व संसाधन लगता है। जिला पूर्णता अधिसूचित क्षेत्र में है। अत: आदिवासी बहुल एवं विशेष पिछड़ी जनजाति तथा बैगा जनजाति के हितों के संवर्धन एवं विकास में मदद मिलेगी।