संदीप तिवारी, रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानियों ने लेमन ग्रास-एक विकसित की है। इस नींबू घास की खासियत यह है कि इसमें 82 फीसद तक खुशबू है, जबकि आमतौर पर लेमन ग्रास में 70 से 77 फीसद तक ही खुशबू होती है। विवि ने इसे केंद्रीय बीज उप समिति से अधिसूचित कराने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है।
कृषि विवि के कुलपति डॉ. एसके पाटिल ने बताया कि लेमन ग्रास की नई किस्म विकसित करने के बाद विवि के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में किसान अब इसका फायदा भी उठा रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया के मार्गदर्शन में 12 एकड़ में किसान लेमन ग्रास की फसल सामूहिक रूप से ले रहे हैं। दुधनिया, बैकुंठपुर के गांव लाई के किसान लेमन ग्रास से तेल निकाल रहे हैं। तेल निकालने के लिए लखनऊ के केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान की मदद ली जा रही है।
अंतराष्ट्रीय स्तर पर है बाजार
लेमन ग्रास पोएसी परिवार का बहुवर्षीय पौधा है। इसकी पत्तियों का आसवन के जरिए तेल निकाला जाता है। लेमन ग्रास में पाए जाने वाली अधिक खुशबू रासायनिक तत्व सिट्रेल-ए और सिट्रेल-बी से आती है। लेमन ग्रास का प्रमुख रूप से इस्तेमाल सिट्रेनेला तेल बनाने में किया जाता है। इससे साबुन, इत्र जैसे सौंदर्य प्रसाधन से जुड़े उत्पाद तैयार किए जाते हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका बाजार है।
कृषक महासंघ के सहयोग से बिलासपुर में कोटा क्षेत्र के किसान 90 एकड़ में लेमन ग्रास की खेती पहले से ही कर रहे हैं। लेमन ग्रास का तेल निकालने के बाद किसान विभिन्ना कंपनियों के सहयोग से इसे न सिर्फ देश में, बल्कि जर्मनी, बेल्जियम और डेनमार्क तक बेच रहे हैं। देश में लेमन ग्रास के तेल की मांग लखनऊ, कन्नाौज, कानपुर, दिल्ली, मुंबई तक है। इससे किसान आर्थिक रूप से सक्षम बन सकेंगे। इसका उपयोग कीटनाशक, औषधि, हर्बल, साबुन, तेल, क्रीम, मच्छर भगाने की दवाइयां बनाने में किया जाता है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर : लेमन ग्रास प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी कारगर है। शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स और टाक्सिस को बाहर निकाल देती है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
ये मिलते हैं रासायनिक तत्व : लेमन ग्रास में एल्फा पिनाइन और बीटा पिनाइन नाम के रासायनिक तत्व मिलते हैं, जो विटामिन ए बनाने के लिए काम आते हैं।
ऐसे शुरू कर सकते हैं खेती : एक हेक्टेयर में एक से सवा लाख रुपये की लागत से खेती शुरू कर सकते हैं। इतनी लागत में 60 से 70 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। पहली फसल में 80 से 100 किलो तेल निकलता है। बाजार में तेल की कीमत 1500 रुपये प्रति किलोग्राम है।