रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही से छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) का माखौल उड़ाया जा रहा है। आलम यह है कि प्रदेश में 71 हजार से अधिक गरीब और वंचित वर्ग के अभिभावकों के बच्चों का अगस्त महीने में भी दाखिला नहीं हो पाया है। निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर दाखिला दिलाने के लिए अभिभावक भटक रहे हैं और आज तक विभाग ने लाटरी नहीं निकाली है। मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री का कहना है कि कोरोना के कारण देरी हुई है वहीं प्रदेश के अन्य स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया की जा चुकी है।
स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल, निजी और सरकारी स्कूल समेत केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले हो चुके हैं केवल आरटीई के बच्चों को पीछे कर दिया गया है। विभाग के शेड्यूल के हिसाब पांच अगस्त तक सभी बच्चों के दस्तावेजों का सत्यापन कर लिया जाना था, लेकिन करीब 35 हजार बच्चों का ही सत्यापन हो पाया है। विभाग के लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक कमलप्रीत ने अभी तक दस्तावेजों का सत्यापन पूर्ण नहीं कराया। आलम यह है कि अभी तब बच्चों के दस्तावेजों का सत्यापन तक नहीं हुआ है।
लेटलतीफी पर कुछ बोल नहीं पा रहे अफसर
आरटीई की लाटरी निकालने में देरी होने की वजह पूछने के लिए कमलप्रीत से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। वहीं विभाग के प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला का कहना है कि आरटीई के लाटरी के संबंध में आप लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक कमलप्रीत से बात करें। बहरहाल अधिकारियों की दिलचस्पी गरीबों के बच्चों को दाखिला दिलाने में कम दिख रही है और इस संबंध में कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।
इतनी सीटें हैं प्रदेशभर
प्रदेश के 28 जिलाें में 6,619 स्कूलों में 83,602 सीटें आरक्षित हैं। सीटों के मुकाबले इस बार महज 71,822 ही आवेदन आए हैं। आरटीई के तहत बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में होता है और इन स्कूलों का सत्र एक अप्रैल से ही शुरू हो चुका है। यहां आनलाइन पढ़ाई जारी है और यहां चार महीने के बाद भी बच्चों का दाखिला कराने में अफसर लापरवाही दिखा रहे हैं। अभिभावकाें का कहना है कि आरटीई की फीस सरकार को देनी होती है इसलिए देर की जा रही है ताकि अभिभावक मजबूरी में किसी अन्य स्कूल में अपने बच्चों का नाम लिखवा लें। आरटीई के तहत पहले से ही तीन लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं। इसी तरह रायपुर में आठ हजार सीटों के लिए 10 हजार से अधिक आवेदन आए हैं।
सरकार की प्रतिपूर्ति सालों से तय है
प्राइमरी में प्रत्येक छात्र के लिए सात हजार रुपये वार्षिक दर पर फीस
मिडिल में प्रत्येक छात्र को 11 हजार 400 रुपये वार्षिक दर पर फीस
साल - दाखिले- बच्चे
2011-12 22, 000
2012-13 25,084
2013-14 33,560
2014-15 44,117
2015-16 25,875
2016-17 37,933
2017-18 41,935
2018-19 40,254
2019-20 48,154
2020- 21 56,675
2021- 22 अभी तक नहीं
यह कहते हैं आंकड़े
56,303 निजी और सरकारी स्कूल प्रदेश में
6619 निजी स्कूल प्रदेशभर में जहां 25 फीसद सीट आरक्षित
83,602 आरक्षित सीटें आरटीई की प्रदेश के निजी स्कूलों में
3,01,317 बच्चे अभी तक दाखिल हैं आरटीई के तहत
यह घोर लापरवाही है
सरकार केवल अंग्रेजी माध्यम स्कूल पर ध्यान दे रही है। आरटीई में दाखिला नहीं हो पाना घोर लापरवाही है। इस मामले में सचिव और शिक्षामंत्री को मानिटरिंग करनी चाहिए। गरीबों के बच्चों का दाखिला नहीं हो पाया है तो यह गंभीर है। सरकार की इससे प्राथमिकता भी पता चल जाती है।