आकाश शुक्ला, रायपुर। राजधानी समेत राज्य में कोविड इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी चरम पर है। वहीं इलाज के नाम पर अधिक बिल वसूली, इलाज में लापरवाही जैसी शिकायतों पर कार्रवाई की बजाय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अस्पतालों के एजेंट बनकर समझौता कराने में जुटे हैं। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार पीड़ितों को मामला रफादफा करने का भी दबाव बना रहे हैं।
इधर, मामले की शिकायत के बाद भी मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी ठोस कार्रवाई की बजाए मूकदर्शक बनी हुईं हैं। जो जिला स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों को शह देने का काम कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जिलेभर से में ही दो दर्जन से अधिक प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ 40 से अधिक शिकायत के मामले सामने आए हैं। इसमें कोविड इलाज में लाखों रुपये का बिल, फर्जी मेडिकल जांच, इलाज में लापरवाही जैसे मामले हैं।
वहीं पूरे कोरोना काल के दौरान 200 से अधिक शिकायतें पहुंची हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग का ढुलमुल रवैया
ऐसा है कि अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस भेजकर खाना पूर्ति कर दिया जाता है।
पीड़ितों की आपबीती, कहा, पैसे लेकर सेटलमेंट का बना रहे दबाव
केस-1 : 37 हज़ार लेकर कर लो सेटलमेंट
18 अप्रैल को चंद्रशेखर नायक को मित्तल इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंस अस्पताल में भर्ती किया गया। कोविड इलाज में वेंटिलेटर, दवाओं और अन्य खर्च को शासन द्वारा निर्धारित दर से अधिक वसूला गया। और रात में फोन कर पेमेंट नकद करने का अस्पताल ने दबाव बनाया। बिल 4.20 लाख से अधिक बना था। शिकायत जिला स्वास्थ्य विभाग में किया। यहां के नोडल अधिकारी ने 37 हज़ार रुपये लेकर मामला रफादफा करने का दबाव बनाया। जबकि अस्पताल ने दो सवा दो लाख अधिक वसूला है। स्वास्थ्य विभाग का यह रवैया हैरान करने वाला है।
-राहुल वर्मा (पीड़ित), सचिव, इंडियन फार्मसिस्ट एसोसिएशन छग
केस-2 : पैसे ले लो नहीं तो वो भी नहीं मिलेंगे
16 अप्रैल को मेरे ससुर भूपेंद्र वर्मा को कोरोना इलाज के लिए बांठिया अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के बीच इनकी मौत हो गई। 13 दिनों में 10 लाख से अधिक का फर्जी बिल बनाया। शिकायत जिला स्वास्थ्य विभाग में की। मामले को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी विनोद देवांगन का फोन आया था। उन्होंने कहा अस्पताल चले जाओ जो पैसे दे रहे चुपचाप रख लेना। जाने वाले चले गए कार्रवाई को छोड़ो। मैंने साफ माना कर स्वास्थ्य अधिकारी को कार्रवाई के लिए कहा सीएमएचओ से शिकायत की अब हमें न्याय का इंतजार है।
-धर्मेंद्र चंद्राकर, पीड़ित, रायपुर
प्राइवेट अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम अधिक वसूली की शिकायत आ रही है।
कार्रवाई में या तो पैसे वापस कराना है या अस्पताल के लाइसेंस को सस्पेंड किय्या जाता है। जांच में उचित कार्रवाई कर रहे हैं। समझौते को लेकर मुझे जानकारी नहीं है। और वैसे भी कोविड की शिकायतों के लिए कलेक्टर ने नोडल टीम गठित किया है। वही यह सब देख रहे हैं। अभी तो फंगस की दवा उपलब्ध कराना प्राथमिकता है। उस पर हमारा फोकस है।
- डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, जिला-रायपुर
शिकायत आ रही है। उनपर कार्रवाई की जा रही है। सभी अधिकारियों को अलग-अलग क्षेत्र की जिम्मेदारी मिली है। सेटलमेंट को लेकर किसी तरह की जानकारी नहीं है। अस्पतालों पर कार्रवाई की जा रही। मित्तल अस्पताल के मामले में 35 हज़ार रुपये अधिक निकले तो पीड़ित को बताया गया। हायर एन्ड लोवर ड्रग में मामला फंस रहा है। मार्गदर्शन के लिए स्वास्थ्य विभाग को भेज गया है।
-शैलेष सिंह ठाकुर, नोडल अधिकारी, नर्सिंग होम एक्ट, जिला स्वास्थ्य विभाग