रायपुर। अविभाजित मध्यप्रदेश में कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश की पूर्व राज्यपाल और दो बार मंत्री का पद संभाल चुकीं उर्मिला सिंह का नाता छत्तीसगढ़ से रहा है। उनका जन्म रायपुर जिले के फिंगेश्वर में हुआ था और ब्याह के बाद वे सरायपाली राजघराने में चली गई थीं। उन्होंने छत्तीसगढ़ छोड़ने के बाद राजनीतिक जीवन में कदम रखा। उनका यहां आना-जाना लगा रहता था। अभी तबीयत बिगड़ने के तीन-चार माह पहले ही उनका सरायपाली आना हुआ था।
मंगलवार को उर्मिला सिंह ने इंदौर के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। सरायपाली राजपरिवार में शोक व्याप्त हो गया। छह अगस्त 1946 को फिंगेश्वर में उर्मिला का जन्म हुआ था। कम उम्र में सरायपाली के राजकुमार बिरेंद्र बहादुर सिंह के साथ शादी हुई थी। बिरेंद्र बहादुर ने यह दूसरी शादी की थी।
बिरेंद्र विधायक बनने के बाद मध्यप्रदेश शिफ्ट हो गए थे। उनके आकस्मिक निधन के बाद उर्मिला सिंह राजनीति में आई थीं। पति की चुनावी सीट घौनसोर से ही चुनाव लड़ना शुरू किया। वे 1983 से 2003 तक लगातार चुनाव जीतकर मध्य प्रदेश विधानसभा की सदस्य बनीं।
1993 की राज्य सरकार में फाइनेंस एंड डेयरी डेव्हलपमेंट मंत्री बनीं। 1996 में इन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। 1998 में राज्य में कांग्रेस की सरकार में उर्मिला सोशल वेलफेयर एंड ट्राइबल वेलफेयर विभाग की मंत्री बनीं। 2001 में मध्य प्रदेश के बंटवारे के बाद वे छत्तीसगढ़ चली आईं।
उनका संसदीय व विधानसभा क्षेत्र छत्तीसगढ़ में आ गया। इसके बाद उर्मिला छत्तीसगढ़ की पहली विधानसभा की सदस्य बनीं। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बुरी तरह हारी, जिसमें उर्मिला की हार भी शामिल थी।
2008 के विधानसभा चुनाव में भी इन्हें हार मिली। 2010 में यूपीए सरकार ने उर्मिला सिंह को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया। बिरेंद्र की पहली पत्नी के पुत्र और पूर्व विधायक देवेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि पारिवारिक कार्यक्रमों में हमेशा छोटी मां उर्मिला सिंह का आना होता था।