सतीश पांडेय, रायपुर। Raipur Consumer Cases: रायपुर जिले में उपभोक्ताओं से जुड़े सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं, जबकि दूसरे स्थान पर दुर्ग जिला है। मार्च 2025 की स्थिति में रायपुर में 19,192 प्रकरणों की सुनवाई कर जिला उपभोक्ता आयोग ने 1,626 का निराकरण कर लिया है।
वहीं, दुर्ग जिले में (Durg consumer complaints) 16,773 प्रकरणों में से 14,686 का निराकरण हुआ है। प्रदेशभर के 21 जिला आयोगों में कुल 74,587 दर्ज प्रकरणों में 68,035 का निराकरण हो चुका है। केवल 6,703 प्रकरण लंबित है, जिनकी सुनवाई अभी चल रही है। दो वर्ष पहले तक पूरे प्रदेश में 10, 600 मामले लंबित थे, जो अब घटकर 6,500 रह गए हैं।
अगले छह महीनों में सभी लंबित प्रकरणों के निराकरण का लक्ष्य रखा गया है। रायपुर में ज्यादा प्रकरणों को देखते हुए आयोग की एक अतिरिक्त बेंच प्रारंभ करने की योजना पर भी काम चल रहा है। प्रदेश के उपभोक्ता अब अपने हक के लिए जागरूक होते जा रहे हैं।
यही वजह है कि सेवा या उत्पाद में महज पांच रुपये की ठगी से लेकर एक करोड़ तक के लिए ग्राहक उपभोक्ता फोरम में जा रहे हैं। भले ही अपना हक पाने के लिए उन्हें वर्षों तक क्यों न लड़ना पड़े, पर वो पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में फैसला डी मार्ट के खिलाफ दिया गया फैसला है।
डी-मार्ट और बिग बाजार ने वर्ष 2019 में दो अलग-अलग ग्राहकों की मर्जी के खिलाफ झोला दे दिया और क्रमश: पांच और छह रुपये उसकी कीमत बिल में जोड़ ली। ग्राहकों ने फोरम में केस दायर किया और मुकदमा जीत भी लिया। ऐसे केस मिसाल बनकर उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग कर रहे हैं।
वकील के माध्यम से शिकायत
शिकायत- 709
लंबित- 11
निराकरण- 698
उपभोक्ताओं का सीधा आवेदन
आवेदन-16, 564
निराकरण- 16,216
अन्य विभिन्न मामले
आवेदन 943
निराकरण 930
लंबित 13
उपभोक्ताओं के नुकसान के आधार पर भी शिकायत की जाती है। अगर नुकसान 50 लाख रुपये से कम का है तो जिला फोरम में, 50 लाख से दो करोड़ रुपये के नुकसान पर राज्य आयोग में। अगर नुकसान दो करोड़ रुपये से ज्यादा है तो राष्ट्रीय आयोग पर शिकायत दर्ज होती है।
वर्तमान में ऑनलाइन शापिंग में होने वाले धोखाधड़ी पर रोक लगाने ई-कॉमर्स नियम भी आए हैं। अब ई-फाइलिंग भी शुरू हो गई है। कोई भी गांव या शहर में घर में बैठकर ई-फाइलिंग के माध्यम से मामला दर्ज करा सकता है।
रायपुर निवासी गायत्री साहू ने वर्ष 2019 में लाखे नगर स्थित सुरभि किड्स सूट से अपने बच्चे के लिए 5,116 रुपए में ड्रेस खरीदी थी। अगले दिन उसने एक ड्रेस वापस कर बदले में दूसरी ली। इस दौरान 960 रुपये दुकान में जमा रह गए।
दुकानदार ने एक कैश रिफंड रसीद दी और कहा कि आज धनतेरस है। आप पैसे दीवाली के बाद आकर पैसे ले जाना। जब दीवाली बाद भी दुकानदार ने ड्रेस लेने को मजबूर किया, तो ग्राहक उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। उपभोक्ता फोरम ने गायत्री को 960 रुपये छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ और पांच हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।
भाविन जैन ने वर्ष 2013 में अपनी बेटी को सीए के लिए एक्सल कोचिंग में भर्ती कराया। दो ग्रुप की परीक्षा के लिए एक साथ पैसे देने पर छात्रा को पैकेज में छूट मिल रही थी। इसलिए दोनों के पैसे एक साथ दे दिए। मगर, जब पेपर वन में उनकी बेटी फेल हुई, तो दूसरे पेपर की कोचिंग की बकाया राशि मांगी।
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कोचिंग वालों ने इसे नियम के खिलाफ बताकर पैसे नहीं लौटाए। तब जिला उपभोक्ता फोरम में मामला दायर किया। कोचिंग संस्था का दावा था कि उनकी संस्था उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत नहीं आती। फोरम ने इस दलील को ठुकरा दिया। साथ ही ग्रुप दो की कोचिंग की बकाया राशि 12,600 रुपये छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया।
पार्थ सारथी दत्ता ने मई 2023 में अवंति विहार स्थित न्यू दत्ता ड्राइक्लीनर्स में कुछ कपड़े ड्राइक्लीनिंग के लिए दिए थे। दुकान से सभी कपड़े तो मिले, लेकिन करीब साढ़े चार हजार रुपये का पशमीना शाल नहीं लौटाया। इससे परेशान होकर ग्राहक ने शाल की कीमत मांगी, तो दुकानदार ने दुर्व्यवहार किया।
साथ ही पैसे देने से भी मना कर दिया। इसके बाद वह उपभोक्ता फोरम गया, जहां 45 दिन के अंदर परिवादी के गुम हुए शाल के चार हजार रुपये छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया।