राज्य ब्यूरो, नईदुनिया| रायपुर: दुर्ग रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार को आदिवासी युवतियों की मतांतरण(Chhattisgarh conversion case) के लिए तस्करी के आरोप में सुखमन मंडावी को गिरफ्तार किया गया। वह ईसाई मिशनरियों के लिए एजेंट का काम करता है।
जांच में खुलासा हुआ है कि छुड़ाई गई तीन युवतियों में से एक कमलेश्वरी के कुकड़ाझोर गांव की पड़ताल में सुखमन की बहन सुखमनी का नाम भी सामने आया है। वह नारायणपुर के चर्च में नौकरी करती है और युवतियों को नौकरी का झांसा देकर मतांतरण कराने में मदद करती है।
बजरंग दल की सक्रियता से सुखमन के साथ मतांतरण की आरोपित दो नन वंदना फ्रांसिस और प्रीति मेरी(Christian missionary conversion racket) को भी गिरफ्तार किया गया है। तीनों फिलहाल रायपुर जेल में हैं। रेलवे पुलिस ने पुष्टि की है कि सुखमन नारायणपुर के चर्च का एजेंट है और उसकी बहन भी लंबे समय से इस कार्य में संलिप्त है।
भाई-बहन कई आदिवासी युवतियों, युवकों और महिलाओं का मतांतरण करा चुके हैं। सुखमन ने स्वीकार किया कि वे तीनों युवतियों को आगरा के मिशन अस्पताल में नर्स की नौकरी दिलाने के बहाने ले जा रहे थे। युवतियों के स्वजनों को भरोसा दिलाया गया कि हर महीने वेतन आपके हाथ में मिलेगा। लालच में आकर परिवारों ने अनुमति दे दी। इससे पहले भी इन युवतियों को भोपाल, लखनऊ और आगरा ले जाया जा चुका था।
सुखमन के अनुसार नारायणपुर और ओरछा में छह से अधिक चर्च हैं। मिशनरी संस्थाएं मुफ्त चिकित्सा, शिक्षा, नौकरी और पैसों का लालच देकर लोगों को मतांतरित कर रही हैं। प्रत्येक रविवार को चर्च में प्रार्थना कराई जाती है।
श्वेता सिन्हा, पुलिस अधीक्षक, जीआरपी ने कहा कि “मतांतरण और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार सुखमन मंडावी से पूछताछ में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। मामले में कुछ और संदिग्धों के नाम सामने आए हैं। जांच के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।”