रायपुर, संदीप तिवारी। Mahtari Dulari Scheme: छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी के दौरान अब तक तीन हजार से अधिक बच्चों के अनाथ होने की जानकारी एकत्रित हो चुकी है। इन बच्चों के लिए राज्य सरकार ने ''छत्तीसगढ़ महतारी दुलारी योजना 2021'' की शुरुआत की है। मुश्किल यह है कि अभिभावकों की मौत कोरोना से हुई है या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए बच्चों या उनके स्वजन के पास कोई प्रमाणपत्र नहीं है। स्कूल शिक्षा विभाग के पास अब तक तीन हजार 365 कोरोना से मृत अभिभावकों और उनके कारण अनाथ हुए बच्चों की संख्या पहुंच चुकी है। इनमें 30 फीसद बच्चों के आवेदन इन्हीं नियमों के पेंच में फंस गए हैं।
इन बच्चों के मां-बाप कोरोना काल में ही मृत हुए हैं। कुछ प्रकरण ऐसे हैं, जिनके माता या पिता कोरोना के लक्षणों से मृत हुए हैं, लेकिन उनके पास कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट तक नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारियों के पास इन बच्चों के आवेदन आए हैं, पर सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इन्हें स्कूटनी करके अपात्र कर दिया जा रहा है।
दरअसल, सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन है कि कोरोना से मृत व्यक्तियों के बेसहारा या अनाथ बच्चों को ही नि:शुल्क शिक्षा और अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। अकेले रायपुर में 612 बच्चों के अनाथ होने के आवेदन मिले हैं। इनमें कई मामले ऐसे हैं जिनके माता या पिता की मौत के कारण बताने के लिए प्रमाणपत्र नहीं है।
मृत्यु प्रमाणपत्र में किया जा सकता है मौत के कारण का जिक्र
जानकारों की मानें, तो मृत्यु प्रमाणपत्र में ही कोरोना से मौत का जिक्र किया जा सकता है। मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत के कारण का जिक्र नहीं होने से अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ रहा है, तो कुछ कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट देकर काम चला रहे हैं। मगर, आने वाले समय में कोरोना से प्रभावित बच्चों की पहचान के लिए विभाग ने कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की है, जिसमें उन्हें कोरोना से अनाथ होना सरकारी व्यवस्था के तहत प्रमाणित किया जा सके।
कुछ अस्पताल ही लिख रहे कोरोना से हुई है मौत
नईदुनिया की पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि जिन बच्चों के अभिभावकों ने अस्पताल में जाकर इलाज नहीं कराया और घर पर मौत हो गई, उनके लिए तो इस योजना का लाभ मिल पाना और मुश्किल हो गया। वहीं कुछ ही अस्पतालों ने मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना का जिक्र किया है। इधर, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग का सर्वे अभी जारी है। अनुमान है कि प्रदेश में यह आंकड़ा चार हजार से ऊपर जाएगा।
यह है योजना
महतारी दुलारी योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों को हर महीने कक्षा पहली से 8वीं तक 500 रुपये और कक्षा 9वीं से 12वीं तक एक हजार रुपये दिए जाने हैं। इसके अलावा अन्य सुविधाएं भी हैं।
यह है पात्रता की शर्तें
विद्यार्थी छत्तीसगढ़ का निवासी हो। मां या बाप या दोनों की कोरोना से मौत हुई हो। बच्चे पढ़ने की पात्रता रखते हों। भरण-पोषण करने वाला संरक्षक मृत हो गया हो।
वर्जन
महतारी दुलारी योजना में जो भी तकनीकी दिक्कत है उसे दूर करने के लिए कलेक्टरों को निर्देश दिया जा रहा है। - डॉ. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग
कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट मांग रहे हैं और कुछ के पास मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने से तकनीकी दिक्कत है। भविष्य के लिए प्रमाणपत्र बनना चाहिए।
- राजीव गुप्ता, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन