रायपुर (राज्य ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ के कर्मचारी- अधिकारी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग तेज कर दी है। कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन की गुरुवार को पिंगुआ कमेटी के साथ बैठक हुई। इसमें फेडरेशन ने सात मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान इसकी घोणणा करने की मांग की है। फेडरेशन की तरफ से कहा गया कि 14 फीसद महंगाई भत्ता कर्मचारियों की प्राथमिकता है।
14 सूत्री मांगों पर चर्चा
प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ की अध्यक्षता वाली कमेटी के साथ हुई बैठक में फेडरेशन की 14 सूत्री मांगों पर चर्चा हुई। बैठक में फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने वेतन विसंगति सहित सभी मुद्दों पर पक्ष रखा। बकाया 14 फीसद महंगाई भत्ता स्वीकृति पर फेडरेशन ने एक जुलाई 2019 से 30 जून 2021 तक कुल 12 माह में कर्मचारी-अधिकारी को महंगाई भत्ता पर हुए आर्थिक नुकसान का पक्ष रखा है। बैठक में अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण का फार्मूला सुझाया गया है। चार स्तरीय वेतनमान और सातवे वेतनमान पर गृह भाड़ा भत्ता पर पक्ष रखा गया है।
मुख्य सचिव ने कहा, बैठक कर संभव
वेतन विसंगति के मुद्दे पर मनोज कुमार पिंगुआ ने कहा कि मामलों का निराकारण संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके ही संभव है। उन्होंने कहा कि सहायक पशु क्षेत्र अधिकारी और सहायक शिक्षकों को तृतीय समयमान स्वीकृति के प्रकरण पर विभागीय प्रस्ताव का परीक्षण कर निर्णय लेने प्रस्ताव भेजा जाएगा। बैठक में संयोजक कमल वर्मा, प्रमुख प्रवक्ता विजय झा, प्रवक्ता बीपी शर्मा, सचिव राजेश चटर्जी, महामंत्री आरके रिछारिया, डा. लक्ष्मण भारती, संगठन मंत्री संजय सिंह सहित अन्य कर्मचारी नेता शामिल थे।
बिजली कंपनी प्रबंधन ने ईई चौहान को किया बहाल
बिजली कंपनी प्रबंधन ने कांकेर जिले के पखांजूर के कार्यपालन अभियंता (ईई) आरके चौहान का निलंबन वापस ले लिया है। चौहान को पत्थलगांव संभाग का ईई बनाया गया है। हालांकि उन पर लगे आरोपों की जांच भी चलती रहेगी।
बता दें कि बकाया वसूली के लिए गांवों की बिजली काटने के आरोप में ईई रहे चौहान को पिछले 21 फरवरी को निलंबित कर दिया गया था। इससे कंपनी के इंजीनियर नाराज हो गए थे। इस मामले में अभियंता कल्याण संघ ने बिजली कंपनियों के अध्यक्ष को पत्र लिखकर चौहान के खिलाफ की गई कार्रवाई पर आपत्ति की थी।
संघ के अध्यक्ष एनआर छीपा के अनुसार चौहान से कंपनी प्रबंधन के निर्देश पर ही नियमानुसार वसूली की कार्रवाई की थी। गांवों की बिजली काटने से पहले संबंधित गांवों के सरपंच, थाना और क्षेत्रीय विधायक को लिखित सूचना दी गई थी। इसी वजह से चौहान के खिलाफ हुई कार्रवाई के कारण इंजीनियर नाराज हो गए थे।