पंकज दुबे
रायपुर नईदुनिया प्रतिनिधि
इंदिरा गांधी कृषि विवि के पौध प्रजनन विभाग के वैज्ञानिकों ने 2017-18 में लघु धान्य फसलों की तीन नई प्रजातियां ईजाद की हैं। इसमें आयरन, जिंक, प्रोटीन की मात्रा सामान्य फसलों के मुकाबले दोगुना है। जो मधुमेह, पेटरोग, एनीमिया जैसे रोगग्रस्त लोगों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होगा। विवि के वैज्ञानिक की मानें तो लघु धान्य फसल की छह प्रजातियों में से रागी-2, कोदो-2, कुटकी-2 बीज को राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदन किया गया। इससे उत्पादन क्षमता प्रति क्विंटल 20 से 22 हेक्टेयर होगा, जिसे बस्तर, सरगुजा के पठारी क्षेत्रों समेत अन्य राज्यों में बेहतर उत्पादन होगा।
लघु धान्य की 6 प्रजाति
लघु धान्य फसलों के अंतर्गत प्रमुख रूप से रागी (फिंगर मिलेट), कोदो, कुटकी (लिटिल मिलेट), कंगनी (फॉक्सटेल मिलेट), चीना (पोर्सो मिलेट) और सांवा (बार्नयार्ड मिलेट) आते हैं। जिसमें चीना और सांवा की पैदावार राज्य में बहुत कम है। भारत में इन फसलों का उत्पादन 18 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में होता है। कुल उत्पादन लगभग 22 लाख मीट्रिक टन होता है।
तीन नई प्रजाति में पैदावार दो गुनी
इंदिरा गांधी विवि पौध प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक डॉ. अभिनव साव ने बताया कि लघु धान्य फसलों को उगाने के लिए कम पानी, कम खाद और कम देखरेख की जरूरत पड़ती है। ये फसलें कम समय में तैयार होती हैं, जिससे आसानी से पैदावार ली जा सकती है। लघु धान्य की इन 3 नई प्रजाति में प्रोटीन, आयरन, जिंक सहित फायबर एवं मिनरल्स अधिक मात्रा में पाई गई है। जो बेहतर पैदावार के साथ वसा एवं शर्करा कम होने के कारण ये मोटापा तथा मधुमेह जैसे रोगों में काफी उपयोगी होगा।
फैक्ट फाइल में तीन नई प्रजाति
1-कुटकी-2 (लिटिल मिलेट)
110 दिन में फसल की होगी पैदावार। आयरन-28.33 पीपीएम, जिंक- 12 पीपीएम, प्रोटीन- 12 फीसद। तमिलनाडु, मप्र में पैदावार। 12 से 15 प्रति क्विंटल हेक्टेयर का उत्पादन। बस्तर, सरगुजा के पठारी क्षेत्र में पैदावार।
2-कोदो-2
-90 दिन में फसल की होगी पैदावार। 22 से 33 प्रति क्विंटल हेक्टेयर का उत्पादन। मधुमेह रोग में लाभदायक। प्रोटीन-10फीसद, जिंक-6 पीपीएम, कैल्शियम- 200 मिलीग्राम, फास्फोरियस-200 मिलीग्राम, आयरन- 7 पीपीएम।
3-रागी-2 (फिंगर मिलेट)
-115 दिन में फसल की होगी पैदावार । 22 से 25 प्रति क्विंटल हेक्टेयर का उत्पादन। गर्मी की फसल के साथ कर सकते है पैदावार। सामान्य धान की तरह ही प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, जिंक पाया जाता है।
4-कंगनी (फॉक्सटेल मिलेट)
मूलरूप से तमिलनाडू, केरल, आंध्रप्रदेश में पैदावार। इसमें सामान्य स्तर पर प्रोटीन की पाया जाता है।
5-चीना (पोर्सो मिलेट)
- मूलरूप से रूस में पैदावार होने के साथ आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू में होता है। इसमें सामान्य स्तर पर प्रोटीन की पाया जाता है।
6-सांवा (बार्नयार्ड मिलेट)
-बस्तर के अलावा उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में अधिक पैदावार होती है। यह फसल भारत की एक प्राचीन फसल है यह सामान्यतः असिंचित क्षेत्रों में बोई जाने वाली सूखा प्रतिरोधी फसल है। असिंचित क्षेत्रो में बोई जाने वाली मोटे अनाजों में महत्वपूर्ण स्थान है। पोषक तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन की पाचन योग्यता 40 प्रतिशत तक होती है।
वर्सन
किसानों की आय दो गुनी होगी
लघु धान्य फसलों की उपयोगिता एवं महत्व को देखते हुए इनकी अधिक उत्पादन देने वाली किस्में विकसित करने पर जोर देना चाहिए। छत्तीसगढ़ में लघु धान्य फसलों के उत्पादन की व्यापक संभावनाएं हैं। इससे वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के मिशन में लघु धान्य फसलें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
- सुनील कुमार कुजूर, मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त
वर्सन
अधिक पैदावार होगी
लघु धान्य फसलों की प्रदेश में लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है। इससे 16 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन की पैदावार की जा रही है। इन तीन नई प्रजातियों से लघु धान्य फसलों अधिक पैदावार के साथ पौष्टिक एवं स्वास्थ्यप्रद होने के कारण इन फसलों की महानगरों में काफी अधिक मांग होगी।
- डॉ. अभिनव साव, पौध प्रजनन विभाग, इंदिरा गांधी विवि
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सं. आरकेडी