रायपुर। साइबर अपराध को लेकर लगातार जागरुकता के बाद भी लोग इसके शिकार हो रहे हैं। दरअसल, साइबर अपराधियों ने ठगी का नया पैंतरा अपनाया है। साइबर अपराधी अब फास्ट टैग के जरिए धोखाधड़ी कर रहे हैं। लोगों को ठगने का साइबर अपराधियों ने नया तरीका ढूंढ लिया है।
ताजा मामला रायपुर से सामने आया है, जहां ट्रांसपोर्टर की ट्रक का महाराष्ट्र के एक टोल प्लाजा में टोल टैक्स नहीं कटा तो उसने फास्ट टैग के टोल फ्री नंबर में संपर्क किया।
उसके बाद उसे टेक्स्ट मैसेज आया जिसमें दिए गए मोबाइल नंबर पर काल करने के लिए कहा गया। पीड़ित ट्रांसपोर्टर ने दिए गए नंबर पर काल किया तो साइबर अपराधियों ने कहा, उनका फास्ट टैग ब्लाक लिस्ट हो गया है।
जालसाज ने ट्रांसपोर्टर से उसके फास्ट टैग को ब्लाक लिस्ट से हटने का झांसा दिया। दो दिन बाद ट्रांसपोर्टर के मोबाइल पर एक मैसेज आया जिसे देख वह सन्न रह गया। दरअसल, बैंक की ओर से आए मैसेज में लिखा था कि उसके अकाउंट से 56 हजार रुपए यूपीआई के माध्यम से ट्रांसफर हो गए।
दरअसल, यह मामला कबीर नगर थाना का है। पीड़ित ने कबीर नगर थाना में इस धोखाधड़ी की शिकायत की है। शिकायत के आधार पर पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
फास्ट टैग (Fast Tag) एक नई प्रौद्योगिकी है जो द्वारा सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और ट्राफिक प्रबंधन को सुगम बनाने का प्रयास किया जाता है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक टैग होता है जो वाहनों के विंडशील्ड पर लगाया जाता है और द्वारा टोल टैगिंग और ऑटोमेटेड पेमेंट की सुविधा प्रदान की जाती है।
फास्ट टैग के ये हैं फायदे
टोल पर पेमेंट की सुविधा: फास्ट टैग का उपयोग करके वाहनों को टोल बार्डर्स पर रुकने की आवश्यकता नहीं होती है। यह वाहनों के लिए ट्रांजिट प्रोसेस को सुगम और तेज बनाता है और यात्रा का समय बचाता है।
ट्रैफिक कार्यक्षमता में सुधार: फास्ट टैग के उपयोग से वाहनों की परिचालन कार्यक्षमता में सुधार होता है। इसके द्वारा वाहनों को बिना रुके टोल प्लाजा पास करने की सुविधा मिलती है और ट्राफिक जाम का जोखिम कम होता है।