रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
रायपुर को तालाबों का शहर कहा जाता है। शहर को राजाओं से विरासत में कई तालाब मिले हैं। इसमें में एक है राजा तालाब। यह तालाब लगभग 500 साल पुराना है। इसे रायपुर राज्य के कल्चुरि राजा वरियार सिंह ने बनवाया था। इसकी जानकारी 1837 के अभिलेखों और पांडुलिपियों में मिलती है। कल्चुरि राजाओं ने परोपकार की दृष्टि से इसे शहर के बीचोबीच में बनवाया था, जहां से कई गांवों में पानी जाता था। साथ ही इस इस क्षेत्र से आने जाने वाले लोग यहां रुककर तालाब के पानी से खाना पकाते और पीते थे। इसके लिए छायादार पेड़ पौधे भी लगाए गए थे।
इतिहासकार आचार्य डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताते हैं कि रायपुर के प्रमुख तालाबों में एक राजा तालाब भी है। इसी तालाब से आसपास के गांवों में पानी जाता था। इसी तालाब से शहर की बस्तियों-मोहल्लों में पानी पहुंचाने वाली नहरें जोड़ी गई थीं, जिनसे जल आवर्धन की योजना चलाई जाती थी। एक सरोवर की तरह इस तालाब का पानी कभी अमृत तुल्य शुद्घ था और लोग पीने तक के लिए इसका उपयोग करते थे, लेकिन आज हालत यह है कि यहां का पानी निस्तारी के लायक भी नहीं है।
तालाब के पानी हो गया जहरीला
डॉ. मिश्र ने बताया कि जब तालाब बनवाया गया था उस समय तालाब बिल्कुल साफ सुथरा था, लेकिन तालाब की देखरेख और साफ-सफाई नहीं होने के कारण अब यहां का पानी जहरीला हो गया है। साथ ही बड़ी तादात में प्रदूषणकारी तत्व इसमें मिल गए हैं। अभी आलम यह है कि बड़ी आबादी को जलाशय का लाभ नहीं उठा पा रहा है।
विवाद के चक्कर में नहीं हो रहा तालाब का सौंदर्यीकरण
लाल बहादुर शास्त्री वार्ड के पूर्व पार्षद योगेंद्र वर्मा ने बताया कि तालाब के निजीकरण का विवाद लंबे समय से चल रहा है। राजस्व अदालत में तहसीलस्तर पर फैसला तो हुआ, लेकिन अब मामला कोर्ट तक जा पहुंचा है। इसी विवाद के चलते तालाब का सौंदरी करण रूक गया है। सौंदर्यी करण के लिए मैंने नौ लाख पास करवाए थे लेकिन कई अड़चने आने के बाद वक कार्य नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि एक बड़े जलाशय में गंदगी दूर करने काम नहीं हो पा रहा है। जबकि आसपास की नालियों से निकलने वाला दूषित पानी जलाशय में बहाया जा रहा है। इसके कारण से भी यह प्रदूषित हो गया है।
अतिक्रमण ने रोक दिया नाले का काम
योगेंद्र वर्मा ने बताया कि राजा तालाब को दूषित होने से बचाया जा सकता था, लेकिन मामला अवैध कब्जों और अतिक्रमण की वजह से अटक गया। दरअसल राजा तालाब, सिंचाई कॉलोनी, न्यू शांति नगर, इंद्रावती और पंडरी क्षेत्र से निकली नालियों का पानी बाहर निकालने इंतजाम नहीं नहीं हैं। छोटी-बड़ी नालियों का गंदा पानी सीधे तालाब में ही बहा दिया जा रहा है। 12 सौ मीटर लंबे नाले के निर्माण की योजना बनाई गई थी, जिससे तालाब में नाले नालियों के पानी को मिलने से रोका जा सके। प्रस्तावित नाले के लिए सरकारी जमीन पर बेजा कब्जा है। लगभग 100 मकानों के बीच से नाले निर्माण हो रहा है, लेकिन कब्जों की वजह से काम प्रभावित है।