'नईदुनिया' लगातार-
फ्लैग- रविभवन में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई का प्रमोटर बिल्डर ने नहीं किया विरोध, क्योंकि निर्माण अवैध है
0 16 हजार वर्गफीट की पार्किंग भी खाली
00- भवन के अंदर से दुकानदारों ने हटाए बैनर-होर्डिंग्स
00- आयुक्त का आदेश, अब जोन 7 स्तर पर होगी मॉनिटरिंग
रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
रविभवन के ग्राउंड फ्लोर को छोड़ सभी फ्लोर पर ग्राहकों के चलने के लिए छोड़े गए 6 फीट के पैसेज (गलियारों) पर 20 साल से व्यापारियों का कब्जा था। गलियारों को भी बेच दिया गया था। निगम को इसकी जानकारी थी, लेकिन कार्रवाई कभी भी नहीं हुई। भीषण आगजनी के बाद निगम ने नाप-जोख की, 45 दुकानदारों को नोटिस जारी किया और सोमवार को तोड़-फोड़ शुरू कर दिया। पार्किंग में बने गोदाम, दुकान तोड़े गए। दुकानदारों को गलियारे खाली करने के आदेश दिए, जिसके बाद से दुकानदार कब्जा खाली कर रहे हैं, दीवारें तोड़ी जा रही हैं।
'नईदुनिया' की टीम बुधवार को रवि भवन पहुंचीं। टेप से माप की गई तो पाया कि सभी फ्लोर पर 6-6 फीट के गलियारे हैं, जिन पर दुकानें तनी हुई हैं। अब कारोबारी ये दीवारें तोड़कर 6 फीट छोड़कर नई दीवार बनवा रहे हैं। रविभवन के सामने वाले हिस्से में भी सभी दुकानदारों ने गलियारों को घेर रखा था। अब वे यहां शटर लगवा रहे हैं। इसके लिए इन्हें निगम ने 48 घंटे का समय दिया है। निगम के डंडे का ही असर है कि अंदर के हिस्से में लगे सभी होर्डिंग, बैनर-पोस्टर दुकानदारों ने खुद निकलवा लिए। जोन 7 कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक नियमानुसार बेसमेंट पार्किंग का 16 वर्गफीट क्षेत्र कब्जा मुक्त हो चुका है। 2-3 दिन बाद दोबारा निगम टीम नाप-जोख करने पहुंचेंगी।
सभी नक्शे निगम के पास-
1993 में बना रविभवन का मूल नक्शा, जिसकी तस्वीर 'नईदुनिया' ने प्रकाशित की थी, वह निगम की योजना शाखा के पास है। इसमें 2 बेसमेंट और 6 फ्लोर के अलग-अलग नक्शे हैं। कार्रवाई भी इसी के आधार पर हो रही है। नक्शे से छेड़छाड़ नहीं हुई, बल्कि नक्शे के विपरीत जाकर निर्माण हुआ। यहां तक बाथरूम का पार्टिशन कर दुकान बनाकर बेच दी गई।
भूमि विकास अधिनियम के तहत शिफ्ट करना होगा बैंक-
रविभवन पार्किंग में खुले दी रायपुर अर्बन मर्केन्टाइल को-ऑपरेटिव बैंक की स्थापना 1997 में हुई। तत्कालीन निगमायुक्त ने इसे लोक उपयोगी बताते हुए पार्किंग में खोलने की अनुमति दी थी। इस पर हाईकोर्ट के भी दो आदेश हैं। इसके बावजूद निगम ने बैंक को पत्र लिखकर कहा है कि इसे शिफ्ट करना ही होगा, इसके लिए समय तय कर जानकारी दें। वहीं पार्किंग में प्रमोटर बिल्डर्स का कार्यालय, बिजली ऑफिस संचालित है।
होटल तुलसी को गिराना है या नहीं, सुनवाई आज
हाईकोर्ट के आदेश पर निगमायुक्त गुरुवार सुबह 11 बजे होटल तुलसी के मालिक और 19 दुकानदारों का पक्ष सुनेंगे। इसके बाद निर्णय देंगे कि इस भवन को गिरना है या नहीं। हालांकि कलेक्टर की 6 सदस्यीय जांच कमेटी, एनआईटी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के अनुसार इमारत मानव निवास के लिए खतरा है। दूसरी तरफ मालिक, दुकानदार मुंबई की किसी संस्था की रिपोर्ट दिखा रहे हैं, जो कहती है कि इमारत ठीक है। कोर्ट ने अंतिम निर्णय के लिए निगमायुक्त को अधिकृत किया है।
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दोबारा करेंगे नाप-जोख
जिन दुकानदारों ने गलियारे पर कब्जे किए हैं, उन्हें खाली करने और उसे मूल स्वरूप में तैयार करने समय दिया गया है। इसके बाद दोबारा से नाप-जोख होगी। पार्किंग के लिए 16 हजार वर्गफीट क्षेत्र निकलवाया गया है।
संतोष पांडेय, जोन 7 आयुक्त, नगर निगम
07प्रशांत गुप्ता...01- संतोष
समय शाम 7बजकर 25मिनट पर