वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष का आरोप, मकान तोड़ने का विरोध करने पर पुलिस गाड़ी में बैठा दो घंटे तक घुमाते रहे
वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने निगम प्रशासन पर किसी को लाभ दिलाने का आरोप लगाया है।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Thu, 07 Apr 2022 12:06:45 PM (IST)
Updated Date: Thu, 07 Apr 2022 12:06:45 PM (IST)
रायपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। मंगलवार की शाम हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी कर नगर निगम प्रशासन ने भारी पुलिस बल के साथ आकर कैलाशपुरी महाराजबंध तालाब के किनारे तीन परिवारों के घरों को बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया गया। इस मामले में हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच में रात में सुनवाई भी की लेकिन इसका इंतजार करना निगम के अधिकारियों ने जरूरी नहीं समझा।
वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने पत्रकारों से चर्चा कर आरोप लगाते हुए कहा कि निगम प्रशासन पर अवैध अतिक्रमण के नाम पर तीन मकानों को तोड़ने की कार्रवाई किसी न किसी को लाभ दिलाने की कोशिश है।निगम का काम मानवीय दृष्टिकोण से आम आदमी का ख्याल रखना होना चाहिए। जो कार्रवाई सुबह होनी चाहिए वह अचानक शाम को क्यों किया गया,वह भी हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार किए बगैर।
कार्रवाई के दौरान पीड़ित परिवारों से कहा गया कि उनके स्टे को कोर्ट ने खारिज कर दिया है जब मौके पर आदेश की प्रति मांगी गई तो फाइल में होना बताकर अधिकारी अपनी मनमानी करने पर उतारू रहे।अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के ऐसे रवैये से काफी निराश हूं। ऐसा लगता है कि जनता ने ऐसे जनप्रतिनिधियों को चुनकर बड़ी गलती की है।अब घरों में की गई तोड़फोड़ की भरपाई कौन करेगा? गुरूवार को इस मामले में सुनवाई होनी है जब तक कोर्ट का आदेश नहीं आ जाता निगम प्रशासन को मरम्मत कराना चाहिए।
पांडेय ने कहा कि तोड़फोड़ करने का विरोध करने पर उन्हे जबरिया पुलिस गाड़ी में बैठाकर दो घंटे तक शहर में इधर-उधर घुमाया गया।जब तोड़फोड़ पूरी कर ली तब छोड़ दिया।मामले में पीड़ित परिवारों ने कोर्ट की अवमानना का केस दायर करने की तैयारी की है।
जमीन पति के नाम,नोटिस पत्नी,बेटे के नाम भेजा
अवैध अतिक्रमण के नाम पर घर तोड़े जाने से दयानंद शर्मा,केदारनाथ साहू और मुन्नाी देवी यादव का पूरा परिवार सड़क पर बिताने को विवश है।घर का सामान पिछले 24 घंटे से सड़क किनारे ही रखा है।दयानंद, केदारनाथ ने बताया कि जमीन उनके नाम पर है लेकिन नगर निगम ने उनकी पत्नी व बेटे के नाम पर एक अप्रैल को नोटिस जारी कर मकान में चस्पा कर कर दिया। तीन दिन के भीतर मकान खाली करने को कहा।
इस बीच हाईकोर्ट में सुनवाई होने तक का इंतजार नहीं किया।देर रात मकान तोड़ने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने का आदेश जारी किया तब तक सामने का आधा हिस्सा तोड़ा जा चुका था।इसके बाद निगम का अमला वापस लौट गया।बेघर परिवारों की पूरी रात और दिनभर सो नहीं पाए।