राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: कस्टम मिलिंग घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू ने सोमवार को विशेष कोर्ट में सेवानिवृत्त आइएएस अनिल टुटेजा और होटल कारोबारी अनवर ढेबर के खिलाफ करीब 1500 पन्नों का पूरक चालान पेश किया। दोनाें आरोपित फिलहाल रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।
इससे पहले जांच एजेंसी ने फरवरी 2025 में राइस मिल एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रहे रोशन चंद्राकर और मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी के खिलाफ प्रथम चालान प्रस्तुत किया था। ईओडब्ल्यू ने पूरक चालान में अनिल टुटेजा पर प्रदेश राइस मिलर एसोसिएशन के पदाधिकारियाें के साथ मिलकर प्रारंभ से आपराधिक षडयंत्रपूर्वक कस्टम मिलिंग घोटाले को अंजाम देने का आरोप लगाया है।
ईओडब्ल्यू की ओर से पेश किए गए चालान में कहा गया कि राइस मिलराें से अवैध वसूली कर 20 करोड़ रूपये प्राप्त किया गया है। राइस मिलरों से अवैध वसूली करने मार्कफेड के जिला विपणन अधिकारियाें पर दबाव बनाकर राइस मिलरों का बिल लंबित रखा जाता था। दबाव में आकर मिलर 20 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अवैध रकम देते थे।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में प्रभावशाली रहे अनवर ढेबर ने वर्ष 2022-23 में जमकर मनमाने काम किए। आयकर विभाग के छापे के दौरान प्राप्त डिजिटल सबूतों से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि वह न केवल शराब घोटाले बल्कि पीडब्ल्यूडी, वन विभाग पर भी गहरा व प्रत्यक्ष प्रभाव डालते थे।
अनवर ढेबर के द्वारा कस्टम मिलिंग घोटाले में अनिल टुटेजा के लिए राइस मिलराें से की गई अवैध वसूली का संग्रहण, खर्च और निवेश का उपभोग किया था। घोटाले में शामिल कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल एवं अन्य आरोपितों के विरूद्ध विवेचना जारी है।
ईडी के बाद ईओडब्ल्यू ने कस्टम मिलिंग घोटाले में 29 जनवरी 2024 को पहली एफआइआर दर्ज की। इसमें रोशन चंद्राकर, मनोज सोनी, सेवानिवृत्त आइएएस अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, सिद्धार्थ सिंघानिया, कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल आदि के नाम शामिल हैं।
ईओडब्ल्यू की जांच में साफ हुआ कि कस्टम मिलिंग की राशि मिलर्स को देने के नाम पर यह वसूली की गई है। वर्ष 2020-21 से पहले कस्टम मिलिंग के बदले मिलर्स को प्रति क्विंटल 40 रुपये भुगतान किया जाता था। मिलर्स की मांग पर कांग्रेस सरकार ने इस राशि को तीन गुना बढ़ाया।
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आरोप है कि राइस मिलरों से 140 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध वसूली की गई। इस खेल में अफसरों से लेकर मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी तक शामिल थे। राइस मिल एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रहे रोशन चंद्राकर लेवी वसूलकर अफसरों को जानकारी देते थे। जिनसे मिलरों से रुपये नहीं मिलते उनका भुगतान रोक दिया जाता था।