Ganesh Chaturthi 2020 : रायपुर नईदुनिया प्रतिनिधि। हर साल गणेश पर्व पर बाजारों में खूबसूरत प्रतिमाओं की मांग रहती है। इस साल कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने के लिए ज्योतिषियों की सलाह के अनुसार विविध आकार की प्रतिमाएं विराजित करने पर भक्तगण जोर दे रहे हैं। भक्तों की पसंद के आधार पर मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि ऐसी मूर्ति पूजा घर में विराजित करनी चाहिए जो ज्योतिष मापदंड पर खरी उतरे और उसके प्रभाव से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आए। यही कारण है कि इस बार ज्यादातर मूर्तिकारों ने बाएं सूंड वाले गणेश और बैठी मुद्रा वाली मूर्तियां बनाई है।
मूर्तिकार रामनारायण यादव बताते हैं कि पिछले सालों तक भक्तगण मूर्ति की साइज और खूबसूरती पर ही ध्यान देते थे, लेकिन इस साल बाकायदा हिदायत देकर मूर्तियां बनवाई हैं। बाएं सूंड वाले और बैठे हुए गणेश जी प्रतिमा को प्रमुखता दी है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे बताते हैं कि सांसारिक जीवन में किसी को बुद्धि, किसी को धन, किसी को संतान, किसी को सुख-शांति, किसी को सम्मान, किसी को ऊंचा ओहदा पाने की चाहत होती है। ऐसे में ज्योतिष और वास्तु अनुरूप मूर्तियों की पूजा करना फलदायी साबित होता है। गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणेश के 1008 स्वरूपों की पूजा की जाती है और प्रत्येक स्वरूप की पूजा करने से अलग फल की प्राप्ति होती है। शुद्ध मिट्टी से बनी प्रतिमाओं के अलावा सोने, चांदी, तांबा से बनी प्रतिमाओं की पूजा का भी खासा महत्व है।
सर्प लिपटी प्रतिमा
पूरे बदन में सर्प लिपटी हुई प्रतिमा को गजवक्र कहते हैं, इनकी पूजा से अमंगल का नाश होता है।
ऊँ की आकृति
ऊँ आकृति वाली प्रतिमा के सिर पर चंद्रमा होता है। एक दंत व पेट बड़ा होता है। ये बुद्धि दाता हैं और बुद्धि प्रदान करते हैं। इन्हें महागणपति कहा जाता है।
गरूड़-सिंह
प्रतिमा के साथ गरूड़ व सिंह होते हैं। ये बड़े से बड़े विघ्न का नाश करते हैं। इसे विघ्नेश्वर कहते हैं।
त्रिनेत्र प्रतिमा
प्रतिमा पर तीन नेत्र होते हैं, हाथ में कमल, नींबू, अनार धारण करते हैं। ये प्रगति-उन्निात प्रदान करते हैं। इन्हें गणपति कहते हैं।
चंद्राकार मुकुट
एकाक्षर नाम वाली प्रतिमा रक्तवर्णी होती है। इसमें छोटे हाथ-पैर, चंद्राकार मुकुट सजा होता है। ये जीवन में प्रगति देते हैं।
पंचमुखी
पंचमुखी यानी चार दिशाओं में चार व उर्ध्व दिशा में एक मुख होता है। मुख का रंग अलग-अलग नीला, पीला, कंचन, सफेद, लाल होता है। ये सम्मान दिलाते हैं। इन्हें एरंभ गणपति कहा जाता है।
वीणा, चक्र
सिंह गणपति नाम वाले गणपति वीणा, चक्र, रक्त कलश धारण करते हैं। ये विनाश से बचाते हैं।
शिव- पार्वती की गोद में
बाल गणपति, शिवजी की जटा से निकली गंगा के जल से खेलते नजर आते हैं। इनकी पूजा से संतान हीनता से मुक्ति मिलती है।
उल्टे हाथ की ओर सूंड
साधारण पूजा के लिए गणेश प्रतिमा के उल्टे हाथ की ओर सूंड होनी चाहिए।
दाएं सूंड
तांत्रिक सिद्धि करने के लिए सीधे हाथ यानी दायीं ओर सूंड वाली प्रतिमा को पूजें।