रायपुर (निप्र)। शिक्षाकर्मी ने 45 साल दिल में छेद लिए गुजार दिए। एक युवती की शादी हो गई, बच्चे हो गए, उसके दिल में छेद था। 5 साल की एक बच्ची के दिल में सुराख था और वह रोजाना स्कूल पढ़ने जाती थी, लेकिन अब इनके दिल के छेद भर चुके हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल और पीजीआई चंडीगढ़ के कार्डियोलॉजिस्ट की टीम ने सोमवार को ऐसे 3 मरीजों को ऑपरेट किया, मंगलवार को 5 और मरीजों के दिल के छेद बंद किए जाएंगे। सबसे अहम यह है कि ये सभी सर्जरी नि:शुल्क हुईं और बगैर चीरफाड़ के।
ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टर्स दिल के छेद भर रहे थे, वहीं ऑपरेशन थिएटर के बाहर मरीजों के परिजनों के दिल तेजी से धड़क रहे थे। ये बार-बार स्टाफ नर्स, डॉक्टर्स से पूछ रहे थे कि अभी कितना वक्त और लगेगा। सब ठीक है न, कोई परेशानी तो नहीं है डॉक्टर साहब... अस्पताल के कैथलैब यूनिट में यही माहौल था। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मिथ श्रीवास्तव ने बताया की हमने 40 मरीजों की जांच की थी, इनमें से 8 मरीज को इन 2 दिन में ऑपरेट किया जाएगा। शेष मरीजों की सर्जरी आने वाले दिनों में। जिनको ऑपरेट किया जा रहा है, वे क्रिटिकल केस है।
डॉ. मनोज कुमार रोहित ने कहा-
500 से अधिक एएसडी प्रोसिजर कर चुके पीजीआई चंडीगढ़ के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रोहित का कहना है कि कोई भी सर्जरी बड़ी-छोटी नहीं होती। सब पर बराबर कंस्ट्रेट करना होता है। उनका कहना है कि अगर दिल के छेद समय रहते बंद नहीं किए गए तो फोर्थ डिकेट यानी 40-50 साल में हार्ट अटैक होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
केस- 1
भैरव नारायण साहू, उम्र- 45 साल, निवासी- अभनपुर
भैरव नारायण की पत्नी मंजूशा बताती हैं कि 10-12 साल से उनके पति को गैस की समस्या थी। इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टर भी समझ नहीं पा रहे थे कि तमाम दवाओं के बावजूद गैस की समस्या दूर क्यों नहीं हो रही। फिर अंबेडकर में कार्यरत उनके एक पहचान वाले स्टाफ ने डॉ. श्रीवास्तव से मिलने को कहा। ईको में पाया कि उनके दिल में छेद है। भैरव पेशे से शिक्षाकर्मी हैं।
केस- 2
हीरा लहरे, उम्र- 25 साल, निवासी- बरपाली, बिलासपुर
हीरा की मां कलि बताती हैं कि हीरा को डिलिवरी के बाद पीठ में दर्द बना रहता था। छाती भी रह-रहकर दर्द करती थी, जांच करवाई तो सीने में छेद का पता चला। इतना पैसा नहीं था कि निजी अस्पताल में इलाज करवा पाते। अंबेडकर के डॉक्टर्स ने मेरी बेटी को नई जिंदगी दे दी।
केस- 3
अदिति अनुरागी, उम्र- 5 साल, बिलासपुर
अदिति के पिता कहते हैं कि उनकी बेटी पढ़ाई में होशियार है, लेकिन उसका विकास नहीं हो रहा था। उसका वजन नहीं बढ़ रहा था, खाने में रुचि नहीं लेती थी। इससे पूरा परिवार चिंतित था। कई जगह भटके, अंत में यहां डॉक्टर्स ने भरोसा रखने को कहा। आज बच्ची का ऑपरेशन हो गया है।