रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
शहर के जिन वार्डों की सरहदें बढ़ीं, उनके गुरु गोविंद सिंह वार्ड भी शामिल है। इस वार्ड में काली नगर, जगन्नाथ नगर का कुछ हिस्सा और पंडरी मेन रोड के दाहिने तरफ की सड़क आती है। वार्ड की सत्ता कांग्रेस के पार्षद हैं। वार्ड के वर्तमान पार्षद मिलिंद गौतम हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ता और सक्रियता के चलते उन्हें 2014 में पहली बार टिकट मिला था और उन्होंने जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में मुकाबला तगड़ा होगा। इसकी वजह 2014 में भी कांटे की टक्कर है। तब हार-जीत में काफी कम अंतर था। 26 सितंबर को वार्डों का आरक्षण जारी होने जा रहा है। सभी की नजरें इसी पर टिकी हैं, क्योंकि आरक्षण के बाद ही जोर-आजमाइश का दौर शुरू होगा।
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परिसीमन के बाद यह है वार्ड की स्थिति
उत्तर- बलौदाबाजार मार्ग से अशोका अस्पताल के सामने से खादी ग्राम उद्योग तक, यहां से कल्याण पब्लिक स्कूल की सरहद होकर अर्जुन निषाद के मकान तक, हीराबाई के मकान के पास से नाला तक।
पूर्व- नाले के किनारे समीर गोलदार के मकान से नाले के किनारे प्रतिमा किराना स्टोर गांधी नगर, काली नगर से नाले के किनारे जगन्नाथ नगर सुलभ शौचालाय तक अनुव्रत रेसीडेंसी होते हुए एक्सप्रेस वे नाला पुलिस तक।
दक्षिण- एक्सप्रेस वे नाला पुलिया से ताज वायरल (पंडरी अंडरब्रिज) से शहीद भगत सिंह स्कूल होते हुए बलौदाबाजार मार्ग से नाकौड़ा ज्वेलर्स तक।
पश्चिम- बलौदाबाजार मार्ग में नाकौड़ा ज्वेलर्स से ऑरम बिल्डिंग होतेहुए बलौदाबाजार मार्ग पर अशोका अस्पताल तक।
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जानें गुरु गोविंद सिंह के बारे में- गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को पटना में जिस घर में हुआ, उस जगह अब तखत श्री पटना साहिब स्थित है। कहा जाता है उनके शुरुआती जीवन के चार बरस यहीं पर बीते थे। 1670 में उनका परिवार पंजाब में वापस आ गया। मार्च 1672 में परिवार हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों में चक्कनानकी नामक जगह पर जा बसा। यह स्थान आनंदपुर साहेब कहलाया। गोबिन्द जी ने फारसी संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की और एक योद्घा बनने के लिए अस्त्र-सस्त्र का भी ज्ञान प्राप्त किया। कहा जाता है जब कश्मीरी पंडितों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाकर मुसलमान बनाया जाता था उसके खिलाफ शिकायत को लेकर और खुद इस्लाम को स्वीकार नहीं किया था। तो इस वजह से 11 नवंबर 1675 को औरंगजेब ने दिल्ली में चांदनी चौक में सभी के सामने गुरु तेग बहादुर सिंह, गुरु गोविन्द सिंह के पिता का सर कटवा दिया था। 29 मार्च 1676 को गोविन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु घोषित हुए। उनका निधन 7 अक्टूबर 1708 को हुआ।