अभिषेक राय। रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के निजी अस्पतालों को रैपिड किट से जांच के बाद एलाइजा रिपोर्ट मिलने पर ही मरीज को डेंगू पीड़ित बताना होगा। ऐसा नहीं करने पर जुर्माना भरना पड़ेगा। जुर्माना कितना लगेगा, फिलहाल तय नही है। लेकिन, विगत साल दो निजी अस्पतालों से पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना वसूला गया था। स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड किट के बाद एलाइजा टेस्ट अनिवार्य कर दिया है।
दरअसल, निजी अस्पताल रैपिड किट में पाजिटिव आने पर ही मरीज को डेंगू पीड़ित मान लेते हैं, जबकि वह संभावित होते हैं। एलाइजा टेस्ट के बाद ही डेंगू की पहचान होती है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष डेंगू का पहला मरीज एक फरवरी को देवपुरी के वर्धमान नगर से मिला था। मार्च में बीएययूपी कालोनी और अशोनगर से मरीज मिले थे। अप्रैल और मई में एक भी केस नहीं मिले, लेकिन जून शुरू होते ही सिलसिला शुरू हो गया। अगस्त-सितंबर में रोजाना 15 से ज्यादा डेंगू के मरीज मिलने लगे थे।
विगत वर्ष रायपुर जिले में डेंगू के करीब 500 मरीज मिले थे। राहत की बात है कि रायपुर जिले में इस वर्ष अब तक डेंगू के केवल 24 मरीज मिले हैं और वे भी पूरी तरह से स्वस्थ हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जुलाई को डेंगूरोधी माह मनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। नगर निगम को भी वार्डों में जलभराव रोकने और नालियों की साफ-सफाई के लिए पत्र लिखा गया है।
पहली बार नजर नहीं आ रहे थे लक्षण
विगत साल डेंगू की एलाइजा टेस्ट रिपोर्ट पाजिटिव आ रही थी, लेकिन मरीज में कोई लक्षण नजर नहीं आ रहा था। पहली बार ऐसा देखा जा रहा था कि मरीज का न तो प्लेटलेट्स कम हो रहा था और न ही तेज बुखार रहता था। ऐसे में डाक्टर और शोधकर्ता भी परेशान हो गए थे। डेंगू के वैरिएंट का पता लगाने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल मेडिकल कालेज भेजे थे। मेडिकल कालेज ने सैंपल एम्स और यहां से आइसीएमएआर को भेजा गया था। डेंगू बुखार पीड़ितों के खून में डेन- तीन व चार स्ट्रेन मिले थे, जो खतरनाक नही माने जाते हैं। डेंगू का डी-2 स्ट्रेन सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसमें ब्लड के प्लेटलेट्स तेजी से घटना शुरू हो जाते हैं।
मेडिकल कालेज में नहीं, अब पंडरी हमर लैब में होगी एलाइजा जांच
स्वास्थ्य विभाग अब मरीजों की एलाइजा जांच के लिए सैंपल मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलाजी के बजाय पंडरी हमर लैब में भेजेगा। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे की वायरलाजिकल लैब के किट से ही डेंगू की जांच होनी चाहिए, लेकिन विगत वर्ष कोरोना की वजह से कालेज प्रबंधन ने डिमांड नही भेजी थी। इधर अचानक डेंगू के मरीज बढ़ने लगे तो स्थानीय स्तर पर खरीदी कर लोकल किट से ही जांच कर दी गई थी। अधिकारी का कहना है कि पुणे की वायरलाजिकल लैब और लोकल किट से जांच रिपोर्ट में अंतर होता है। लोकल किट से हुई जांच की रिपोर्ट मान्य नहीं होती है।
दो तरीके से होती है जांच
डेंगू जांच के दो तरीके हैं। एक जांच रैपिड किट से होती है, जिसमें आइजीजी व आइजीएम की जांच होती है। कई निजी अस्पताल रैपिड किट जांच में आइजीजी पाजिटिव होने पर ही रोगी को डेंगू पाजिटिव मान लेते हैं। खून लेकर की गई इस जांच में पुराने एंटीबाडीज का इंफेक्शन भी दिखाई देता है, जबकि जांच में नया इंफेक्शन सामने नहीं आता है। डेंगू का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एलाइजा टेस्ट को ही सही माना गया है। ये टेस्ट एलाइजा रीडर से किया जाता है। इसमें खून के नमूने से इंफेक्शन की मात्रा की रीडिंग होती है।
जिला मलेरिया अधिकारी डा. विमल किशोर राय ने कहा, निजी अस्पतालों को आरडी टेस्ट में पाजीटिव रिपोर्ट आने पर तत्काल मरीज का सीरम सैंपल एलाइजा टेस्ट के लिए कालीबाड़ी स्थित जिला मलेरिया कार्यालय भेजना है। आदेश की अवहेलना पर कार्रवाई की जाएगी। इस बार एलाइजा टेस्ट के लिए सैंपल पंडरी हमर लैब भेजा जाएगा।
फैक्ट फाइल
एक जनवरी से 31 दिसंबर तक 2019- 100 मरीज
एक जनवरी से 31 दिसंबर तक 2020-11 मरीज
एक जनवरी से 31 दिसंबर तक 2021-500 मरीज
एक जनवरी से अब तक- 24 मरीज