रायपुर। high speed train रेलवे की सुस्त व्यवस्था और फंड के अभाव में बिलासपुर-नागपुर के बीच हाईस्पीड ट्रेन के पटरी पर उतरने में दो से तीन साल लगने की संभावना है। बता दें कि 2014-15 में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 900 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया। इसकी कार्य योजना और सर्वे आदि का काम पूरे होने के बाद 2017 में इसे धरातल में उतारने की तैयारी थी, लेकिन फंड जारी नहीं होने से काम अटका रहा।
2018-19 में करीब 300 करोड़ रुपये जोन को जारी किए गए। इससे रायपुर, बिलासपुर, नागपुर तीनों मंडलों के अलग-अलग सेक्शनों के बीच ट्रैकों के दोनों किनारों को घेरना और ट्रैक भी बिछाना था। अब तक जोन के तीनों रेलवे मंडल काम को पूरा करने में पीछे हैं। रायपुर मंडल में महज 20 किलोमीटर के ट्रैक के दोनों किनारे पर फेंसिंग की गई है। रायपुर रेलवे स्टेशन में गुढ़ियारी की तरफ बाउंड्रीवॉल बनाई गई है।
फंड नहीं मिला तो रुका काम
रायपुर मंडल को आगे के काम के लिए फंड ही नहीं मिल पाया। पूर्व में महज 16 करोड़ रुपये फेंसिंग के लिए मिले थे। इसके चलते ट्रैकों की घेराबंदी नहीं हो पाई। ट्रैक भी 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार के लायक नहीं बन पाए हैं।
तीनों मंडल में 383 किलोमीटर तक होगी फेंसिंग
रायपुर, बिलासपुर, नागपुर मंडल अपने-अपने सेक्शन में फेंसिंग करेंगे। तीनों मंडलों में सिर्फ 50 किलोमीटर तक ही फेंसिंग हुई है। जानकारों का कहना है कि पेंसिंग होने में ही दो-तीन साल का वक्त लग सकता है।
दोगुना होगा खर्च
परियोजना की लागत अब बढ़ने लगी है। इसके लिए 900 करोड़ बजट तय है, लेकिन अब दोगुना खर्च होगा। फंड अभी खर्च नहीं हो पाया है, फिर भी मंडल में काम में गति नहीं आ पाई है।
ये हैं अड़चनें
1 - नागपुर मंडल में घुमावदार ट्रैकों को सीधा करना होगा
2 - उरकुरा-दाधापारा, दुर्ग, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, इतवारी, नागपुर सेक्शन में ट्रैक बिछाने का काम अधूरा
3 - हाईस्पीड ट्रेन के लिए ट्रैकों का सर्वे कार्य अधूरा
- अभी कुछ स्थानों पर प्रोसेसिंग चल रही है, तीनों मंडलों के विभिन्ना सेक्शनों के बीच ट्रैकों को हाईस्पीड ट्रेन के लायक बनाने के लिए सर्वे कार्य पूरा नहीं हो पाया है। -साकेत रंजन, सीपीआरओ बिलासपुर