रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
कुराने करीम में हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम के वाक्ये को अहसनुल कसस यानि तमाम किस्सों में सबसे अच्छा किस्सा बतलाया गया है 'आप अल्लाह के नबी हजरत याकूब अलैहिस्सलाम के सबसे चहेते बेटे थे, आपके कुल 11 भाई थे, जिसमें एक सगा भाई और बाकी सभी सौतेले भाई थे। 'अल्लाह ने आपको ख्वाबों की ताबीरों का इल्म अता फरमाया था। 'जब आप छोटे थे तो आपने एक ख्वाब देखा कि 11 सितारे और चांद और सूरज आपको सजदा कर रहे हैं, जिसे आपने अपने वालिदे मोहतरम को बतलाया तो उन्होंने उन्हें इस ख्वाब को भाइयों से बतलाने से मना किया, मगर जब ये बात भाइयों को मालूम हुई और जब उन्होंने देखा की युसूफ अलैहिस्सलाम को उनके वालिद बहुत चाहते हैं, तो उन्होंने युसूफ अलैहिस्सलाम को मारने की गरज से जंगल ले गए और एक गहरे कुएं में फेंक दिए, और युसूफ अलैहिस्सलाम के सगे भाई को भी डराया कि अगर उन्होंने वालिद को बतलाया तो वो उसे भी मार देंगे, उन भाइयों ने युसूफ अलैहिस्सलाम के कुर्ते में बकरी का खून लगाकर अपने वालिद को बतलाया कि एक भेड़िये ने उन्हें मार कर जंगल में ले गया, हजरत याकूब अपने बेटों के फरेब और मक्र को समझ गए और फरमाया बड़ा ही चालाक भेड़िया रहा होगा, जिसने युसूफ को मार दिया और कुर्ता भी नहीं फटा कहकर वे रोने लगे, बेटे के गम में वे इतना रोये कि उनकी आंखों की बिनाई (रोशनी) भी चली गई। 'युसूफ अलैहिस्सलाम को रोज उनके सौतले भाई आकर देखते कि कहीं वो कुएं से बाहर तो नहीं आ गए, मगर अल्लाह ने आपको बचा लिया और आप इस कुएं में तीन दिनों तक रहे, तभी मिस्र की तरफ जाने वाला एक काफिला उधर से गुजरा और उसमें से एक शख्स ने जब इस कुएं को देखा तो डोल डालकर पानी निकालना चाहा तो उस डोल की मदद से आप कुएं से बाहर आ गए। 'आपके भाइयों को जब मालूम हुआ तो उन्होंने कहा कि ये हमारा भागा हुआ गुलाम है, और फिर उन्होंने उन्हें 20 दिरहम में उन काफिले वालों के पास बेच दिया।
'युसूफ अलैहिस्सलाम मिस्र के बाजार में लाए गए, जहां गुलामों को बेचा जाता था, आप बेहद खुबसूरत थे, उन्हें मिस्र के अमीरे मिस्र ने खरीद लिया और अपने शाही महल ले आया और अपनी औरत जुलेखा के पास ले गया, युसूफ अलैहिस्सलाम की खूबसूरती देखकर उसके बदकारी का खयाल पैदा हो गया और उसने जब जबरदस्ती करनी चाही तो आप महल से बाहर की तरफ भागे और जुलेखा ने जो उन्हें पकड़ना चाहा तो आपका कुर्ता फट गया। ' तभी उसका शौहर अजीजे मिस्र आ गया, तब इस बदकार औरत ने सारा इलजाम युसूफ अलैहिस्सलाम पर डालते हुए उन पर इल्जाम लगा दिया। 'युसूफ अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी छोटे बधो को लाया जाए वो भी गवाही देगा की गुनाहगार कौन है, लिहाजा एक चार साल का बधाा जो इत्तेफाक से करीब ही था लाया गया, उस बधो ने कहा अगर कुर्ता आगे से फटा हो तो फिर युसूफ अलैहिस्सलाम गुनाहगार होते और अगर पीछे से फटा हो तो औरत गुनाहगार होगी। 'अमीरे मिस्र सारा माजरा समझ गया कि युसूफ अलैहिस्सलाम गुनाहगार नहीं है बल्कि जुलेखा गुनाहगार है। 'जब इस बात की चर्चा आसपास भी होने लगी तो अमीरे मिस्र ने बीबी को बचाने की खातिर युसूफ अलैहिस्सलाम को कारागार में भिजवा दिया।
'कैदखाने में आपने कैदियों को जो ख्वाब की ताबीर (मतलब) बतलाई थी, वो सब सच होती, तभी मिस्र के बादशाह ने एक ख्वाब देखा कि सात तंदरुस्त गायों को सात दुबली गायें खा रहीं हैं और धान की सात हरी बालियां है और सात सूखी बालियां हैं। 'बादशाह परेशान हो गया और ख्वाब की ताबीर जाननी चाही, मगर कोई नहीं बतला सका तो बादशाह के एक साकी ने जो की कैद में रह चूका था, उसने इसकी ताबीर जानने कैदखाने में जाने की इजाजत मांगी, और फिर युसूफ अलैहिस्सलाम से मिलकर बादशाह के इस ख्वाब ताबीर जाननी चाही, तो आपने बतलाया की राज्य में सात खेती से जो अनाज होगा उसे जमा करो, क्योंकि उसके बाद सात सालों तक सूखा पड़ेगा और धान नहीं हो पाएगी, तब ये जमा की हुई धान काम आएगी। इसके बाद फिर हरियाली होगी। 'बादशाह को जब उस कासिद ने ये सब बात बतलाई तो बादशाह ने उन्हें कैदखाने से बाहर लाने का हुक्म दिया, मगर आपने जवाब दिया कि वो तब तक कैदखाने से बाहर नहीं आएंगे, जब तक उनकी बेगुनाही सामने नहीं आ जाएगी, तब बादशाह ने सारी बातों की तस्दीक करवाई तो जुलेखा ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया और गवाही दी की युसूफ अलैहिस्सलाम बेकसूर हैं, तब बादशाह ने उन्हें कैदखाने से बुलवाया और उनसे इतना ज्यादा प्रभावित और खुश हुआ कि उसने आपसे कहा- आप जो चाहे ओहदा लें, मगर इसी महल में रहें। तब आपने बादशाह के खजाने से तकसीम किये जाने वाले गल्ले का इन्तेजाम संभाल लिया और फिर बादशाह ने हुकूमत और उसके सारे इन्तेजामत ही उनके हवाले कर दी। उनके ख्वाब के मुताबिक ही सात सालों की हरियाली के बाद सात साल सूखा पड़ा अनाज की फरोख्त करने लोग दूर-दूर से आने लगे।
इस दौरान एक रोज युसूफ अलैहिस्सलाम के भाई भी बादशाह के दरबार में गल्ला लेने पहुंचे, अपने भाइयो को देखते ही युसूफ अलैहिस्सलाम ने उन्हें पहचान लिया, मगर भाई उन्हें नहीं पहचान सके। युसूफ अलैहिस्सलाम ने उन्हें गल्ला देकर बिदा किया और कहा अगली बार अपने भाई को लेकर नहीं आए तो गल्ला नहीं मिलेगा। आपने जाते समय उनकी बोरियों में नगद भी रखवा दिया। ' युसूफ अलैहिस्सलाम के भाइयो ने सारी बातें अपने वालिद को बतलाई और अपने भाई बन्याबैन को ले जाने की इजाजत मांगी, और उसकी हिफाजत का अहेद कर वे दोबारा मिस्र पहुंचे। 'युसूफ अलैहिस्सलाम ने धीरे से अपने भाई बन्याबैन को बतला दिया कि मैं तुम्हारा भाई युसूफ हूं और उसे अपने पास रोक लिया और भाईयों को वापिस कर दिया, सभी भाई बहुत मायूस हो गए, तब अंत में युसूफ अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा कि याद करो तुमने अपने भाई युसूफ के साथ कैसा सुलूक किया था, तब भाईयों ने भी उन्हें पहचान लिया और अपनी गलती और गुनाहों पर पर बहुत शर्मिंदा हुए। 'युसूफ अलैहिस्सलाम ने अपने भाईयों को माफ कर दिया और फिर वालिद को साथ लाने के लिए कहा। साथ ही अपना कुर्ता भी उन्हें दिया कि इसे वालिद-ए-मोहतरम की आंखों पर रख देना, सभी भाई वापस आ गए। 'जब वे वालिद के पास पहुंचे तो वे खुशी से कहने लगे मुझे अपने बेटे युसूफ की खुश्बू आ रही है, सभी भाईयो ने अपने वालिद से माफी मांगी और उन्हें सारा हाल कहकर सुनाया। उनके वालिद ने अपने बेटे युसूफ का कपड़ा उठाकर उसे चूमा और ज्यों ही आंखों से मस किया, उनकी आंखों की बिनाई वापस आ गई। 'और फिर वे सभी युसूफ अलैहिस्सलाम से मिलने मिस्र की जानिब रवाना हुए। मिस्र में दाखिल होने पर उनका खूब स्वागत किया गया और जब वे सभी युसूफ अलैहिस्सलाम के दरबार में पहुंचे तो सजदे में गिर पड़े। 'युसूफ अलैहिस्सलाम अपने वालिद-ए-मोहतरम से गले लग गए, उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे, और इस तरह ये थी उस ख्वाब की ताबीर, जो उन्होंने 11 सितारे और चांद और सूरज को लेकर की थी। 'बेशक इस वाक्ये में ईमान वालों के लिए बहुत सी निशानियां भी हैं और सबक भी है। इसलिए इस वाक्ये को कुरआन में सबसे अफजल किस्सा कहा गया है।'