
रायपुर। घर बनाने के साथ ही इन दिनों लोग उसकी सुंदरता बनाए रखने में विशेष जोर देते हैं। पहले जहां केवल रेस्टारेंट व अस्पतालों में ही फिश एक्वेरियम रहते थे, इन दिनों घरों में फिश एक्वेरियम रखने का चलन बढ़ा है। लोग अपने घर के इंटीरियर से मैच करते हुए एक्वेरियम लगाकर लिविंग रूम, हाल, बेडरूम, डाइनिंग हाल को मेंटेन कर रहे हैं। एक्वेरियम की वजह से जहां घर की सुंदरता बढ़ती है, वहीं इसके साथ ही बच्चों व बड़ों के साथ फुदकती हुई रंग-बिरंगी मछलियां ताजगी का अहसास कराती है।
घरों में सिंगल फिश एक्वेरियम की मांग ज्यादा
कारोबारियों ने बताया कि घरों में रखने वाले इन एक्वेरियम में सिंगल फिश एक्वेरियम की मांग ज्यादा है। साथ ही उसका बाक्स व कलर इस तरह डलवाया जाता है कि वह समुद्र का आभास हो। घरों में एक्वेरियम के बढ़ते क्रेज का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि पांच वर्ष पहले शहर में एक्वेरियम तैयार करने वाले सिर्फ पांच या छह थे,वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर 25 से ज्यादा हो गई है। कारोबारियों का कहना है कि आज से पांच वर्ष पहले छोटा एक्वेरियम बाक्स ही रहते थे,अब लोग बहुत सी फरमाइस कर रहे है। लोगों की पसंद के अनुसार विदेशी मछलियां भी मंगाई जा रही है।
घरों में नार्थ ईस्ट या नार्थ वेस्ट में रखा जाए एक्वेरियम
एक्वेरियम कारोबारी जोसेफ मैथ्यू ने बताया कि एक्वेरियम मुख्य रूप से वास्तु के हिसाब से रखा जाता है। घरों में नार्थ ईस्ट या नार्थ वेस्ट में रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही आफिसों में या पब्लिक प्लेस के बाहर रखा जाना चाहिए। एक्वेरियम में मछलियों को लेकर ऐसा भी माना जाता है कि जो बला आपके ऊपर आने वाली होती है, वह मछली के ऊपर आ जाती है। घरों में एक्वेरियम होने से घर के अंदर की निगेटिविटी खत्म हो जाती है। साथ ही एक सकारात्म ऊर्जा जन्म लेती है। ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी यह लाभकारी होती है।
मछलियों की यह है खासियत
एक्वेरियम के लिए बाजार में सैकड़ों तरह की मछलियां मिलती है,लेकिन लोग सिंगल मछलियों में पिरांहा को पसंद करते है। यह मछली साउथ अमेरिका की गुस्सैल मछली है और किसी दूसरी मछली को अपने साथ नहीं रहने देती। किसी मछली को अपने साथ नहीं रहने देती। इसका गुस्सा इतना ज्यादा रहता है कि तेज गुस्सा आया तो फिश बाउल से कूद पड़ती है। इसके साथ ही आस्कर मछली भी लोगों द्वारा काफी पसंद की जाती है,जो काफी खुशमिजाज होती है। इन मछलियों को इनके नस्ल की मछलियों के साथ कभी नहीं रखा जाता,क्योंकि यह उन्हें खा जाती है। पैराडाइस मछली भी डिमांड में है और लड़ाकू किस्म की मछली होती है,इसे अकेला रखा जाता है।
पानी की शुद्धता जांचे व समय पर दे दाना
अगर आप घर या आफिस में एक्वेरियम रखने के शौकीन है तो मछलियों के खाने और तापमान का विशेष ख्याल रखना जरूरी है। सुबह शाम और दिन में न्यूट्रेन के दाने दिए जाते है,साथ ही पानी की शुद्धता भी हमेशा जांचनी चाहिए। पानी फिल्टर नहीं होने पर गंदगी से मछली मर भी सकती है।
इन मछलियों को घरों में रखते हैं
जानकारों के अनुसार बहुत सी मछलियों को घर में रखना शुभ अशुभ माना जाता है,इसके चलते ही ज्योतिष की भी राय ली जाती है। घरों में मुख्य रूप से स्टार, गोल्ड फिश, ब्लेक गोल्ड, जापानी फिश, फ्लावर होरम, पैरेट फिश आदि रखते है। इनके साथ ही और भी मछलियों को पसंद किया जाता है।
पांच सौ रुपये से लेकर दस हजार तक के एक्वेरियम
बाजार में आने वाले ये एक्वेरियम पांच सौ रुपये से लेकर दस हजार रुपये या उससे भी अधिक के एक्वेरियम आते है। ग्राहक अपने बजट के अनुसार खरीदारी भी करते है। एक्वेरियम को हाइटेक भी बनाया जा रहा है,इसमें न तो मछली को दाना खिलाने की टेंशन रहती है और न ही टेंपरेचर मेंटेन करने की। कारोबारियों का कहना है कि बाजार में आने वाले लाइट्स व सिस्टम से इन्हें हाइटेक बनाया जा रहा है।
मोल्डेड एक्वेरियम ज्यादा पसंद
पहले ट्रेडिशनल कांच के एक्वेरियम बनते थे, लेकिन अब लोग एक्रेलिक फाइबर ग्लस के मोल्डेड एक्वेरियम पसंद कर रहे है। इससे एक्वेरियम मजूबत रहता है। इन्हें आसानी से एक जगह से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा सकता है।
नौ गोल्ड फिश सेट होना चाहिए
कारोबारी राजेश कुमार ने बताया कि लोग अपने एक्वेरियम में नौ गोल्ड फिश सेट जरूर रखते है। इनमें आठ मछलियां सुनहरी और एक काली होती है। इन्हें नौ ग्रहों के प्रतीक के तौर पर रखा जाता है। मान्यता है कि किसी भी खतरे या विपत्ति को ये मछलियां अपने ऊपर ले लेती है। इसके साथ ही अब लोग आर्टिफिशियल प्लांट नहीं बल्कि ओरिजनल प्लांट की डिमांड कर रहे है। इन्हें एक्वेरियम के निचले हिस्से में लगाया जाता है।