नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर : प्रदेश के स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है, विशेषकर योग और शारीरिक शिक्षा (फिजिकल एजुकेशन) के क्षेत्र में। यह चिंताजनक है कि स्कूलों में योग की किताबें उपलब्ध होने के बावजूद, उन्हें पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी है। इस गंभीर स्थिति पर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।
बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अत्यधिक महत्व देती है और योग को फिजिकल एजुकेशन के अंतर्गत शामिल करती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के स्कूलों में इस दिशा में लापरवाही देखी जा रही है। जानकारी के अनुसार, स्कूलों में योग की पुस्तकें तो हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित योग शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा, फिजिकल एजुकेशन के लिए स्कूलों की समय-सारिणी में न तो कोई विशिष्ट पीरियड निर्धारित है और न ही इसके लिए पर्याप्त समय दिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ शारीरिक शिक्षा शिक्षक संघ (पीटीआई) लंबे समय से स्कूलों में शारीरिक शिक्षा को एक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की मांग कर रहा है। हालांकि वर्ष 2023 में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद में शारीरिक शिक्षकों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई थी, जिसमें शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिया गया था। तैयार किए गए इस पाठ्यक्रम का प्रस्ताव स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा गया था, लेकिन यह प्रस्ताव अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
जानकारों का मानना है कि यदि प्रदेश के स्कूलों में शारीरिक शिक्षा (फिजिकल एजुकेशन) को एक अनिवार्य विषय के रूप में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाता है, तो इससे निश्चित रूप से योग और खेलकूद को व्यापक बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही इस कदम से व्यायाम शिक्षकों की नई भर्तियां होंगी, जिससे बीपीएड और एमपीएड डिग्री धारकों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। जबकि अनिवार्य विषय होता तो बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होगा। भविष्य में प्रदेश को प्रतिभाशाली खिलाड़ी मिल सकेंगे, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर सकते है। बता दें कि प्रदेश में व्यायाम शिक्षकों के पद खाली पड़े है और नई भर्तियां भी नहीं हो रही है।
विभाग की उदासीनता पर उठ रहे सवाल स्कूलों में योग और शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई न होने से स्कूल शिक्षा विभाग की उदासीनता पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि शीघ्र ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को प्रदेश में प्राप्त करना असंभव होगा। विद्यार्थियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए विभाग को तत्काल योग शिक्षकों की भर्ती करने और स्कूलों की समय-सारिणी में फिजिकल एजुकेशन के लिए अनिवार्य रूप से समय निर्धारित करने की आवश्यकता है।