रायपुर में आयोजित प्रवचन में संत ललितप्रभ ने कहा : जीवन में शिक्षा और संस्कारों की जरूरत
संत ने कहा कि संस्कारों की हमारे जिंदगी में पग-पग पर जरूरत है। हमारे यहां तो गर्भ को भी संस्कार माना गया।
By Pramod Sahu
Edited By: Pramod Sahu
Publish Date: Fri, 05 Aug 2022 04:55:15 PM (IST)
Updated Date: Fri, 05 Aug 2022 04:55:15 PM (IST)

रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। अच्छे संस्कार आदमी को कभी भी अंधेरे की ओर नहीं जाने देते, अच्छे संस्कार हमेशा आदमी को उजाले की तरफ लेकर जाते हैं। जिंदगी में जितनी जरूरत शिक्षा की होती है, उतनी ही जरूरत संस्कारों की है। राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में आयोजित प्रवचन में यह बातें कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने घर में सुख का ऐसा वृक्ष लगाना चाहिए कि उसकी छाया पड़ोसी के घर तक भी जाए।
क्यों जरूरी है कार से पहले संस्कार पर श्रद्धालुओं का ध्यान केंद्रित करते हुए संत ने हमारी कार-संस्कार को तीन बार दोहराने का अनुरोध किया। संत ने कहा कि जिंदगी तो सांप-सीढ़ी के खेल की तरह है। जीवन में यह बोध हमेशा बनाए रखें कि संस्कार उस सीढ़ी की तरह है जो हमेशा ऊपर ले जाया करती है और गलत आदतें उस सांप की तरह है जो आदमी को हमेशा नीचे गर्त में ले जाया करता है। अंतिम चरण में जाकर भी यदि जीवन में गलत आदतों का सांप यदि पलता रहा तो आदमी ऊपर जाकर सीधा वापस धड़ाम से नीचे गिर जाता है। लिबास बदलोगे तो चेहरा सुंदर लगेगा और पसीना बहाओगे तो जिंदगी सुंदर हो जाएगी।
संस्कारों की जरूरत है जन्म से लेकर मृत्यु तक
संत ने कहा कि संस्कारों की हमारे जिंदगी में पग-पग पर जरूरत है। हमारे यहां तो गर्भ को भी संस्कार माना गया। जन्म, विवाह और यहां तक कि मृत्यु को भी संस्कार माना गया। जन्म से लेकर मृत्यु तक आदमी को संस्कारों की जरूरत होती है।
वे माता-पिता अधम होते हैं जो अपने बच्चों को जन्म देकर भाग्य के भरोसे छोड़ देते हैं। वे माता-पिता मध्यम होते हैं जो अपने बच्चों को जन्म से लेकर बहुत सारी सुविधाएं देते हैं। जितना आप बच्चों की शिक्षा और उनकी सुविधाओं के सजग हैं, उतने ही सजग उनमें संस्कारों के बीजारोपण के लिए सजग हो जाएं।