
दुर्गा प्रसाद बंजारा, नईदुनिया, रायपुर। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ की धरती अब गंभीर रूप से कुपोषित हो चुकी है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 33 जिलों से आए एक लाख 75 हजार 444 मृदा स्वास्थ्य कार्ड का विश्लेषण किया, जिसमें पाया कि कुल नमूनों में से 76.76% में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग शून्य है। वहीं 51.8% नमूनों में मिट्टी की जान यानी कार्बन की कमी पाई गई।
वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. राकेश वनवासी नाइट्रोजन की कमी का कारण असंतुलित खेती और कार्बन की कमी को बताते हैं। मिट्टी में पोषक तत्वों को रोककर रखने का काम आर्गेनिक कार्बन (गोबर की खाद/ह्यूमस) करता है। कार्बन खत्म होने से मिट्टी छलनी बन गई है। किसान जो यूरिया डालते हैं, वह मिट्टी में रुकने के बजाय पानी के साथ बहकर जमीन के नीचे चला जाता है या धूप में गैस बनकर उड़ जाता है, इसलिए लाभ कम और नुकसान ज्यादा होता है।
एक्सपर्ट व्यू : रिपोर्ट के आधार पर खेतों में डालें खाद
किसानों को उर्वरकों के संतुलित उपयोग की सख्त जरूरत है। बिना मृदा परीक्षण के खेत में रासायनिक खाद डालना उचित नहीं है। अनावश्यक और असंतुलित उर्वरक उपयोग करने से आर्थिक नुकसान होता है और मिट्टी की सेहत भी खराब होती है। मृदा परीक्षण के बाद जो रिपोर्ट आए, किसान उसी आधार पर अपने खेतों में खाद डालें। इससे उपज भी बढ़ेगी और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहेगी। - राकेश वनवासी, वरिष्ठ विज्ञानी, (मृदा विज्ञान विभाग आईजीकेवी)
मिट्टी में नाइट्रोजन कम होने पर यह होता है नुकसान
पौधे की निचली और पुरानी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। पौधा बौना रह जाता है और उसका विकास रुक जाता है। अनाज में प्रोटीन की मात्रा घट जाती है और पैदावार बहुत कम होती है।
पौधा बहुत गहरा हरा हो जाता है और बहुत तेजी से बढ़ता है, लेकिन तना कमजोर हो जाता है। थोड़ी सी हवा चलने पर फसल गिर जाती है। फसल पकने में देरी होती है और कीड़े-बीमारियां जल्दी लगते हैं।
पोटैशियम : पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमी होने पर पत्तियों के किनारे ऐसे भूरे हो जाते हैं, जैसे आग से झुलस गए हों। तना कमजोर हो जाता है। दाने छोटे और सिकुड़े हुए बनते हैं। फलों और सब्जियों का स्वाद फीका पड़ जाता है और चमक खत्म हो जाती है।
नाइट्रोजन- स्वस्थ : अगर रिपोर्ट में 280 से 560 के बीच प्वाइंट हैं, तो खेत स्वस्थ है। खतरनाक कमी 280 से कम। खतरनाक अधिकता 560 से ज्यादा।
पोटैशियम-स्वस्थ : अगर रिपोर्ट में 110 से 280 के बीच प्वाइंट है, तो खेत सुरक्षित है।
खतरनाक कमी : 110 से कम।
खतरनाक अधिकता : 280 से ज्यादा।

इसकी कमी होने पर पौधों की जड़ों का विकास रुक जाता है। पत्तियों का रंग गहरा हरा और बाद में बैगनी हो जाता है। फूल और फल देरी से आते हैं। दाने पूरी तरह नहीं भरते, जिससे वजन कम मिलता है।
वैसे तो फास्फोरस की अधिकता कम ही होती है, लेकिन अगर यह ज्यादा हो जाए तो यह दूसरे तत्वों को रोक देता है। यह मिट्टी में मौजूद जिंक और आयरन को लाक कर देता है। यानी फास्फोरस ज्यादा होने पर पौधे में जिंक की कमी के लक्षण दिखने लगते हैं।