रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। Sawan 2021: मठपारा स्थित भगवान भोलेनाथ की 12 फीट ऊंची नीले रंग की प्रतिमा के कारण इसे नीलकंठेश्वर महादेव नाम से जाना जाता है। पहले यह प्रतिमा खुले आकाश तले विराजित थी। अब प्रतिमा के ऊपर शेड का निर्माण कर दिया गया है, ताकि बारिश से प्रतिमा सुरक्षित रहे। पहले यह इलाका वीरान था, शिव प्रतिमा के निर्माण के बाद से यह अब एक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। भोलेनाथ की ऊंची प्रतिमा के समक्ष नंदी की प्रतिमा भी आकर्षण का केंद्र है, सावन महीने में जलाभिषेक करने हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
मंदिर का इतिहास
15 साल पहले मठपारा बस्ती के समीप गणेश पर्व पर हर साल गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती थी। उस दौरान गणेश समिति के सदस्यों ने खुले इलाके में सबसे ऊंची भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा बनवाई। कलाकार कृष्णा मूर्ति ने रेत, गिट्टी, सीमेंट से प्रतिमा का निर्माण किया। कुछ ही बरसों में यह मंदिर प्रसिद्ध हो गया और महाशिवरात्रि में शिव विवाह का आयोजन तथा सावन के महीने में कांवरियों का जत्था उमड़ने लगा। अब इस मंदिर के आस-पास सुंदर बगीचा बना दिया गया है, मंदिर में आने वाले श्रद्धालु परिवार समेत गार्डन की खूबसूरती का नजारा लेते हैं।
मंदिर में तैयारियां
प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। विशाल प्रतिमा के समक्ष एक छोटा सा शिवलिंग है, जहां श्रद्धालु लाइन में लगकर दूरी बनाए रखते हुए जल अर्पित कर सकते हैं। सोमवार की शाम आरती और भजन-कीर्तन में मंदिर समिति के सदस्य शामिल होंगे। श्रद्धालु दूर खड़े होकर दर्शन कर सकेंगे।
ऐसे पहुंचे मंदिर
रिंग रोड नंबर एक, रावण भाठा मैदान के समीप निर्माणाधीन अंतर्राज्यीय बस अड्डा से मात्र पांच मिनट की दूरी पर स्थित है नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर। कालीबाड़ी से टिकरापारा, सिद्धार्थ चौक होते हुए भी मंदिर पहुंचा जा सकता है। यह 400 साल पुराने ऐतिहासिक दूधाधारी मठ से कुछ ही दूरी पर है।
वर्जन
कोरोना नियमों को देखते हुए इस बार मंदिर परिसर में बेरीकेड्स लगाए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ न हो और बारी-बारी से दर्शन का लाभ मिल सके। छोटे शिवलिंग पर जलाभिषेक की व्यवस्था की गई है।
- मनोज वर्मा, समिति सदस्य