रायपुर। छत्तीसगढ़ में आयोडीनयुक्त नमक की पहुंच 93 प्रतिशत घरों तक है। यहां की 98.4 फीसदी आबादी रिफाइंड नमक इस्तेमाल कर रही है। छत्तीसगढ़ मध्य भारत और पश्चिम भारत का इकलौता राज्य है, जहां 93 प्रतिशत घरों में आयोडीन नमक का उपयोग हो रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर इसका औसत 76.3 प्रतिशत है, जिससे छत्तीसगढ़ काफी आगे है।
स्वास्थ्य विभाग और न्यूट्रीशन इंटरनेशनल द्वारा आज यहां एक निजी होटल में आयोजित कार्यशाला में इंडिया आयोडीन सर्वे एवं किशोर तथा मातृपोषण कार्यक्रम के अनुभव साझा किए गए। कार्यशाला में संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं श्री नीरज बंसोड़ और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला सहित लोक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न संस्थाएं एवं स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
इंडिया आयोडीन सर्वे 2018-19 संपादित की गई है। राष्ट्रीय स्तर पर देश के 29 राज्यों एवं सात केन्द्र शासित प्रदेशों में पहली बार किए गए इस सर्वे के अनुसार केवल दस राज्यों और तीन केन्द्र शासित प्रदेशों में ही आयोडीन नमक 90 प्रतिशत से अधिक घरों में उपयोग हो रहा है।
राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने आयोडीन के उपयोग को बढ़ावा देने स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। एनीमिया मुक्त भारत के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अमर सिंह ठाकुर ने लोगों में खून की कमी दूर करने सरकार द्वारा किए जा रहे पहल के बारे में बताया।
इसलिए जरूरी है आयोडीन
डॉ. कमलेश जैन ने बताया कि आयोडीन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही शरीर का तापमान नियंत्रित रखने के लिए बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान इसकी कमी से गर्भपात, मृत या मानसिक रूप से कमजोर शिशु के जन्म की संभावना होती है। गलकंठ, हाइपोथॉयरोडिज्म और बौनापन जैसी बीमारियां भी इसकी कमी से होती है। किशोरों और वयस्कों को रोज 150 माइक्रो ग्राम आयोडीन की जरूरत होती है।