रायपुर (राज्य ब्यूरो)। Jharkhand Political Crisis: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता मामले में राजभवन की चुप्पी से वहां सत्ता पक्ष परेशान है। सत्ता पक्ष के सामने गठबंधन के विधायकों को संभाल कर रखने की चुनौती है। इसी कड़ी में विधायकों और मंत्रियों को रायपुर लाया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्पष्ट कह रहे हैं कि विधायकों की खरीद-फरोख्त के डर से ऐसा किया जा रहा है। दूसरी ओर हेमंत की सदस्यता मामले में राजभवन ने अभी तक ना तो अपने निर्णय से अवगत कराया है ना ही चुनाव आयोग के मंतव्य के संबंध में आधिकारिक घोषणा की है। राजभवन के मुताबिक फिलहाल चुनाव आयोग के मंतव्य पर विधि परामर्श लिया जा रहा है। यह प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही निर्णय से विधिवत अवगत कराया जाएगा।
जा रहा गलत संदेश
रायपुर लाए गए सत्ता पक्ष के विधायक भागमभाग से तंग नजर आ रहे हैं। नईदुनिया के सहयोगी प्रकाशन दैनिक जागरण से फोन पर अनौपचारिक बातचीत में कुछ विधायकों ने कहा, एक सप्ताह से हमलोग यहां-वहां डोल रहे हैं। इससे अच्छा होता कि कोई निर्णय हो जाता। कम से कम मुंह छिपाकर तो नहीं रहना पड़ता। विरोधी क्षेत्र में माहौल बना रहे हैं कि हमलोग मौज कर रहे हैं। ऐसा कुछ दिन और चला तो परेशानी बहुत बढ़ जाएगी। विधायकों में मन की बेचैनी यह संकेत दे रही है कि सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है।
भरोसे पर सवाल
एक अन्य विधायक की मानें तो दो-चार दिन तक तो ठीक है, लेकिन ज्यादा दिनों तक वे रायपुर में नजरबंद नहीं रहेंगे। अगर विधायकों पर भरोसा नहीं है तो एक साथ मिलकर चलने का क्या तुक है? इस परिस्थिति में कुछ विधायक एकजुट होकर आवाज उठा सकते हैं। अपनी बातों से इन्होंने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय को भी अवगत कराया है। अविनाश पांडेय भी इन विधायकों के साथ ही रांची से रायपुर आए हैं और यहीं कैंप कर रहे हैं।
सबको एक तराजू पर तौलना गलत
कांग्रेस विधायकों का कहना है कि उनके तीन साथी कोलकाता में नकदी के साथ गिरफ्तार हुए। उस मामले की जांच चल रही है। सही और गलत का निर्णय हो जाएगा। कोर्ट में भी मामला चल रहा है, लेकिन इस वजह से सबको शक के दायरे में रखना ठीक नहीं है। दल के भीतर के ही कुछ विधायकों ने खुद को ज्यादा ईमानदार और वफादार दिखाने की कोशिश में दूसरों के खिलाफ लॉबिंग शुरू की है। इससे फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है।
झामुमो में भी उठी है बात
झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं। विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने रायपुर जाने से इनकार ही नहीं किया, बल्कि उन्होंने नेतृत्व के फैसले की कटु आलोचना भी की। लोबिन ने कहा कि झारखंड की बात छत्तीसगढ़ में क्यों तय होगी? यह सरासर गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि विधायकों को तोड़ने की कोशिश कभी कामयाब नहीं होगी, लेकिन विधायकों को रायपुर ले जाकर रखना उनकी विश्वसनीयता को संदेह के घेरे में खड़ा करता है।