Kajri Teej 2020 रायपुर । नईदुनिया प्रतिनिधि। तीज-त्योहारों की कड़ी में रक्षा बंधन के तीसरे दिन भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज पर्व मनाया जाता है। इस बार तीज पर्व छह अगस्त को मनाया जाएगा। हर साल तीज के दिन सुहागिनें सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव-पार्वती की पूजा करके पति की लंबी आयु, खुशहाली की कामना करती हैं।
साथ ही बाग-बगीचों, सामाजिक भवनों में झूलों का आनंद लेती हैं। सावन के गीत गाकर विविध तरह के खेलों से मनोरंजन करती हैं। इस साल कोरोना महामारी के चलते महिलाएं कजरी तीज पर्व सादगी से मनाएंगी। इस बार बागों में झूलों की बहार नहीं छाएगी।
मेहंदी रचाकर ग्रहण किया सिंजारा
तीज पूर्व की पूर्व संध्या पर सुहागिनों ने हाथों में मेहंदी रचाई और गुरुवार को रखे जाने वाले व्रत से पहले मिठाई, नमकीन का सेवन किया। इसे सिंजारा ग्रहण करना कहा जाता है।
अच्छे वर की चाह में कुंवारियां भी करेंगी व्रत
एक ओर जहां पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि , खुशहाली के लिए सुहागिनें व्रत रखती हैं, वहीं दूसरी ओर मनचाहा पति पाने की चाहत में युवतियां भी निर्जला व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार तीज के दिन भगवती पार्वती कई सालों की तपस्या साधना के बाद भगवान शिव से मिली थीं। मां पार्वती की पूजा से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
अन्य राज्यों में रहती है धूम
तीज पर्व समस्त उत्तर भारत में उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। बुंदेलखंड के जालौन, झांसी, दनिया, महोबा, ओरछा आदि क्षेत्रों में इसे हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बनारस, र्मिर्जापुर, देवलि, गोरखपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर आदि जिलों में इसे कजली तीज के रूप में मनाने की परम्परा है। राजस्थान में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। हर घर में झूले सजते हैं, सुबह से रात तक उल्लास का माहौल होता है।
विवाह के बाद पहली तीज मायके में
व्रत के पहले बेटियां अपने ससुराल से मायके आती हैं। खासकर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर बेटी को ससुराल में नहीं छोड़ा जाता। कई परिवारों में हर साल तीज पर बेटियों को मायके बुलाने की परंपरा है।