रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्वों में से एक पर्व कमरछठ इस बार 9 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि के लिए हलषष्ठी माता की पूजा-अर्चना करेंगी। अन्य प्रदेशों में हलषष्ठी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है। षष्ठी, छठ माता की पूजा-अर्चना में पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग लगाया जाता है। चूंकि कोरोना महामारी के चलते प्रदेश के अनेक जिलों में लॉकडाउन लगा है और बाजार बंद है। मात्र दो दिनों के लिए सुबह चार घंटे मार्केट खोलने की इजाजत दी गई थी, इसलिए शनिवार को पसहर चावल खरीदने के लिए गोलबाजार, शास्त्री बाजार में महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
100 रुपये किलो बिका पसहर चावल
कमरछठ पूजा में पसहर चावल का भोग लगाने की मान्यता के चलते चावल शनिवार को महंगे दामों में बिका। अलग-अलग जगहों पर महिलाओं को 100 से 120 रुपये किलो में चावल खरीदा। मालवीय रोड, शास्त्री बाजार, पुरानी बस्ती शीतला मंदिर, आमापारा इलाके में सड़क किनारे की दुकानों पर आम दिनों की अपेक्षा चावल दोगुनी-तिगुनी कीमत में बेचा गया।
बिना हल जोते उगता है पसहर चावल
पसहर चावल को खेतों में उगाया नहीं जाता। यह चावल बिना हल जोते अपने आप खेतों की मेड़, तालाब, पोखर या अन्य जगहों पर उगता है। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव वाले दिन हलषष्ठी मनाए जाने के कारण बलदाऊ के शस्त्र हल को महत्व देने के लिए बिना हल चलाए उगने वाले पसहर चावल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं, साथ ही इसी चावल का सेवन कर व्रत तोड़ती हैं।
अन्य पूजन सामग्री का भी महत्वः फूल, नारियल, फुलोरी, महुआ, दोना, टोकनी, लाई, छह प्रकार की भाजी का भी पूजा में महत्व है।
माता देवकी ने किया था व्रतः मान्यता है कि माता देवकी के छह पुत्रों को जब कंस ने मार दिया तब पुत्र की रक्षा की कामना के लिए माता देवकी ने भादो कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को षष्ठी देवी की आराधना करते हुए व्रत रखा था। इसी मान्यता के चलते महिलाएं अपने पुत्र की खुशहाली के लिए छठ का व्रत रखती हैं।