रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ऊं नम: शिवाय : खारुन नदी के किनारे महादेव घाट में हटकेश्वर नाथ महादेव का ऐतिहासिक मंदिर है। इसे पुरातत्व विभाग ने प्राचीन मंदिरों की सूची में शामिल किया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने मंदिर के आसपास के इलाके को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया है। दो साल पहले नदी के इस पार से उस पार जाने के लिए लक्ष्मण झूला का निर्माण किया गया है।
मंदिर का इतिहास
ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में खारुन नदी को द्वारकी नदी के नाम से जाना जाता था। हैहयवंशी राजा ब्रह्मदेव को खारुन नदी में शिवलिंग मिला था। इसे नदी के किनारे ही स्थापित किया गया। वर्तमान में जो मंदिर है, उसका निर्माण 1402 में कल्चुरि शासक भोरमदेव के पुत्र राजा रामचंद्र ने करवाया था। हटकेश्वर महादेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का मिनी काशी कहा जाता है। महाशिवरात्रि और सावन माह में दर्शन करने हजाराें श्रद्धालु पहुंचते हैं। हरिद्वार के हर की पौड़ी की तरह महादेव घाट में अस्थियों का विसर्जन किया जाता है।
मंदिर में तैयारियां
कोरोना नियमों के चलते गर्भगृह में श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। जलाभिषेक करने के लिए मुख्य द्वार पर तांबे के बड़े पात्र में जल अर्पित करने की व्यवस्था की गई है। यह जल पाइप से होते हुए शिवलिंग पर गिरेगा। मंदिर के पीछे खाली मैदान होने से उसी मार्ग से प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। द्वार पर सैनिटाइजर मशीन और थर्मल स्क्रीनिंग करने के बाद प्रवेश मिलेगा। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जाएगा। खासकर उज्जैन के महाकाल की तर्ज पर श्रृंगार आकर्षण का केंद्र रहेगा।
ऐसे पहुंचे मंदिर
रेलवे स्टेशन अथवा बस स्टैंड से हटकेश्वर महादेव मंदिर की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है। दर्शन करने टैक्सी या स्वयं के वाहन से जा सकते हैं। लाखेनगर, सुंदर नगर, रायपुरा मुख्य मार्ग से महज 15 मिनट में पहुंचा जा सकता है।
वर्जन
भोलेनाथ के आशीर्वाद से महीनों बाद मंदिरों को खोलने की अनुमति प्रशासन ने दी है। नियमों के अनुरुप गर्भगृह तक भक्तों को नहीं जाने दिया जाएगा। बाहर से ही जलाभिषेक की व्यवस्था है। सोमवार को मनमोहक श्रृंगार होगा।
- पं.सुरेश गोस्वामी, पुजारी