फोटो दीपेश
रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
'कोरी-कोरी नरियर चढ़े ए दाई लाली-लाली चुनरी ओढ़े... आगू जै हो घर के दाई मंदिर में जाई पाछू..' दिलीप षडंगी के इस जसगीत ने राज्योत्सव के समापन पर रायपुरियंस को भावविभोर कर दिया। दर्शकों ने जसगीत की प्रस्तुति को सराहा ही नहीं, बल्कि वे खड़े होकर झूमने लगे। हर तरफ बस जसगीत के बोल गूंज रहे थे। वहीं दिव्यांग बच्चों की कृष्ण लीला मनमोहक रही। वे मूक-बधिर होने के बावजूद बहुत कुछ कह गए। इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने उपस्थित जन समुदाय में जहां उमंग भरी, वहीं छत्तीसगढ़ की विविध सांस्कृतिक विरासत से परिचित भी कराया।
तालियों से किया सम्मान
जसगीत की शानदार पेशकश पर जहां गायक दिलीप व साथियों ने दर्शकों को सराबोर कर दिया, वहीं दर्शक भी अपने रोक नहीं पाए। लोग अपनी जगह पर खड़े होकर जसगीत के बोल गाते हुए तालियां बजाने लगे। 25 मिनट की प्रस्तुति में एक गाने नहीं, बल्कि तीन प्रमुख जसगीत को गाया, जिस पर दर्शकों ने तालियों से गायन का सम्मान किया।
तुझसे नैना लागे रे
कोपलवाड़ी के दिव्यांग छात्रों ने कृष्ण लीला पेश की। साथ ही सूफी डांस तुझसे नैना लागी रे की प्रस्तुति शानदार रही। इसी तरह से छुनुन छुनुन पैरी बाजे के गाने के साथ दिब्यांग बच्चों ने लोकनृत्य के माध्यम से आयोजन की गरिमा बढ़ाई। इसकी सराहना प्रस्तुति के दौरान दर्शक करते रहे । इसी तरह से रंग सरोवर लोकमंच के भूपेंद्र साहू दल ने प्रदेश की परंपरा को प्रतीकात्मक रूप से कलाकारों के माध्यम से बताया। इसमें लोक विधा को थिएटर के अंदाज में प्रायोजित किया गया। फूल झरे हाथी, मोती झरे बोली नैना की... पेश हुए।
25 मिनट में दिखाया तिहार
हमर छग के सोलह कदम की प्रस्तुति के माध्यम से आयोजन में अरपा पैरी के धार, छग के करण बखान समेत 23 तरह के गानों को पेश किया। इसके अंतर्गत एक्टर व गायक सुनील तिवारी के दलों ने छग के 12 महीनों के सभी तिहारों को 25 मिनट की पेशकश में बखूबी तरीके बताया। इस दौरान सुआ, करमा, चंदयनी, गौरा-गोरी जैसे नृत्य को मंच पर कलाकारों के माध्यम से दिखाया गया।
पंथी नृत्य पर झूमे नर्तक दल
ए माटी के काया, ए माटी चोला कै दिन रहिबे बता मोला के बोल से पंथी नृत्य की प्रस्तुति हुई। इसमें दिलीप बंजारे पंथी नृत्य दल की पेशकश काफी रोमांचित करने वाली रही। नृत्य के माध्यम से मिट्टी के शरीर को चरितार्थ करते हुए बताया गया। इस पर घमंड नहीं किया जाए यह तो क्षणभंगुर है। प्रस्तुति के दौरान बड़े ही मनमोहक अंदाज पर नर्तक दल झूमते रहे।
05 पंकज दुबे 02
सं. आरकेडी