जानें अपने वार्ड को-
वार्ड क्रमांक- 34, लाल बहादुर शास्त्री वार्ड
आरक्षण- सामान्य (2019)
मौजूदा पार्षद- योगेंद्र वर्मा (भाजपा)
परिसीमन के पहले जनसंख्या- आठ हजार से
परिसीमन के बाद- 13055
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रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
परिसीमन, आरक्षण के बाद वार्डों की राजनीति गरमानी शुरू हो गई है। अब एक वार्ड में कई दावेदार हैं, दावेदारों का तांता पार्टी दफ्तरों में लगाना शुरू हो चुका है। क्योंकि अब टिकट जो पाना है। मगर इस बार हर पार्टियां बहुत सोच-विचार, समीकरणों को देखते हुए टिकट देंगी। लाल बहादुर शास्त्री वार्ड से 2014 में भाजपा ने एकदम नए चेहरे योगेंद्र वर्मा को मैदान में उतारा। पत्रकार से प्रत्याशी और फिर कांग्रेस प्रत्याशी जुबैर आलम को हराकर योगेंद्र ने जीत दर्ज की। लेकिन इस बार समीकरण बदले-बदले हैं। सीट पुरुष सामान्य है, इसलिए योगेंद्र फिर से दावेदारी कर रहे हैं। निर्णय पार्टी को लेना है। यह टक्कर वाली सीट है,इसलिए दोनों पार्टी इस बार जी-जान लगा देंगी।
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परिसीमन के बाद यह है वार्ड की स्थिति-
उत्तर- एक्सप्रेस वे पंडरी अंडर ब्रिज के पास चिस्ती पैलेस से एक्सप्रेस वे होते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा, राधा स्वामी सत्संग भवन होते हुए एक्सप्रेस वे नाला पुलिया के पास से डॉ. भाखरू के मकान तक।
पूर्व- डॉ. भाखरू के मकान से आरडी चंद्राकर के मकान से होते हुए जीई रोड से सुभाषचंद्र बोस मूर्ति तक।
दक्षिण- जीई रोड में सुभाषचंद्र बोस मूर्ति से जीई रोड होते हुए गुरुद्वारा (तेलीबांधा तालाब के पास), सैय्यद कुलीमुद्दीन शाह मस्जिद से शहीद भगत सिंह चौक होते हुए जीई रोड पर इंद्रावती नाला पुलिया तक।
पश्चिम- जीई रोड पर इंद्रावती पुलिस से इंद्रावती कॉलोनी नाला होते हुए इंद्रावती कॉलोनी से धोबीपारा से नूरानी चौक एवं चिश्ती पैसेल एक्सप्रेस वे पंडरी अंडरब्रिज के पास तक।
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जानें लाल बहादुर शास्त्री के बारे में- लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ। जब वे डेढ़ वर्ष के थे तभी पिता का देहांत हो गया। वे ब्रिटिश शासन का समर्थन कर रहे राजाओं की महात्मा गांधी द्वारा की गई निंदा से अत्यंत प्रभावित हुए। 16 साल की उम्र में उन्होंने आजादी की लड़ाई में शामिल होने का निर्णय लिया। 1930 में महात्मा गांधी ने नमक कानून को तोड़ते हुए दांडी यात्रा की। लाल बहादुर शास्त्री विह्वल ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बने। सात वर्षों तक जेलों में रहे। 1946 में जब कांग्रेस सरकार का गठन हुआ तो उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका मिली। 1951 में दिल्ली आए। मंत्री मंडल के कई विभागों को संभाला। वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री हुए। 18 महीने के कार्यकाल में विदेश दौरे में उनकी मृत्यु हो गई।