रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
एहसान फरामोश नहीं, एहसानमंद होना सीखिए, लब पर आई मुस्कान की पहचान करना सीखिए ...ऐसी कई पंक्तियों से काव्य संध्या का आगाज हुआ। काव्य-संध्या का कार्यक्रम छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल की ओर से शनिवार को जैतूसाव मठ में आयोजित किया गया। इसमें हास्य, श्रृंगार, व्यंग्य और वीर रस की कविताएं पढ़ी गईं। दर्शकों ने हर पंक्ति पर खूब दाद दी और तालियां बजाईं। डॉ. सीमा श्रीवास्तव ने पढ़ा- अपनों से फरेब कभी करना नहीं, ईमान की बात हो तो डरना नहीं। जिंदगी देती है तजुर्बे जो हमको ताक पर उन्हें कभी धरना नहीं..., डॉ. जेके डागर ने कहा- है ये दुनिया का दस्तूर जी, मतलब को कहें हुजूर जी...उन्होंने स्वार्थ से सने संसार का चित्रण कुछ इस तरह किया। वहीं सुनील पांडेय ने चुनाव को लेकर कुछ यूं सुनाया- वादों की बड़ी लकीर खींचने के उनके, हम मुरीद रहे हैं शायद इसीलिए वे हमारे वोटों को खरीद रहे हैं..., अंबर शुक्ला 'अंबरीश' ने कहा- गर्मी आई गर्मी आई, सूरज ने ली अंगड़ाई
बूंद-बूंद को तरसे प्राणी मांग रहे सब पानी-पानी..., डॉ. अर्चना पाठक ने पढ़ा- सारे सच तहखानों में छिपे होते हैं लगातार चलता उन्हें वहीं दफनाने का षड्यंत्र..., शोभा मोहन श्रीवास्तव ने जीवन के फलसफे को इस तरह पेश किया- चल कदम तेरा मेहरबान जहां तक जाए, सफर ए जीस्त की थकान जहां तक जाए। वहीं कई अन्य कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर सभी को गदगद किया। और खूब तालियां बटोरीं।