अंदर कुछ और बाहर कुछ की वृत्ति छोड़ें, पारदर्शी जीवन जीएं - मुनि मनीष
रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि कहानी - महात्मा गांधी प्रसंग संदर्भ - पाप कर्म संदेश -गलती छिपाने तिकड़म न लगाएं जैन दादाबाड़ी में मुनि मनीष सागर ने कहा कि हम अंदर कुछ और बाहर कुछ की वृत्ति छोड़ें, पारदर्शी होकर जीवन जीने का प्रयास करें। सत्य को सत्य जानें, इससे मायाचारी जाएगी। उदाहरण के तौर पर कुछ लोग भीतर से धर्मी होते नहीं लेकिन बाहर से स्वयं
By Nai Dunia News Network
Edited By: Nai Dunia News Network
Publish Date: Wed, 21 Aug 2019 06:43:07 AM (IST)
Updated Date: Wed, 21 Aug 2019 06:43:07 AM (IST)

कहानी - महात्मा गांधी प्रसंग
संदर्भ - पाप कर्म
संदेश -गलती छिपाने तिकड़म न लगाएं
रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
जैन दादाबाड़ी में मुनि मनीष सागर ने कहा कि हम अंदर कुछ और बाहर कुछ की वृत्ति छोड़ें, पारदर्शी होकर जीवन जीने का प्रयास करें। सत्य को सत्य जानें, इससे मायाचारी जाएगी। उदाहरण के तौर पर कुछ लोग भीतर से धर्मी होते नहीं, लेकिन बाहर से स्वयं को धर्मी दिखाना चाहते हैं। वे अपने स्वार्थ सिद्घि के लिए मायाचारी करते हैं। बाहर के झूठ को पकड़ना आसान है, लेकिन मनुष्य के भीतर चल रही माया को पकड़ना बहुत कठिन है। गलती सत्यवादी से भी हो सकती है, लेकिन वह अपनी गलती को छिपाता नहीं, अपनी सरलता को वह छोड़ता नहीं और छल-कपट वह करता नहीं। संकल्प करें, नियम लें कि अपनी गलती को छिपाने के लिए हम कभी तिकड़म नहीं लगाएंगे, मायाचारी नहीं करेंगे।
माया करती है मित्रता का नाश
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य के लिए आग्रह कर स्वतंत्रता संग्राम जीत लिया तो क्या हम सत्य की राह पर चलने के लिए एक माया को नहीं छोड़ सकते। यदि माया से न बचे तो कितने ही जप-तप, तीर्थाटन कर लो वे भंग हो जाएंगे। माया, मित्रता का नाश कर देती है। जिस प्रकार शरीर में प्राण का आधार श्वांस है, उसी प्रकार दो व्यक्तियों में संबंधों का आधार विश्वास है।