
रायपुर। मौसमी फलों की बेहतर आवक होने के बाद भी ग्राहकों का टोटा है। शहर में खरबूज-तरबूज की दुकानें सज गई हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण लोग घरों में हैं। ऐसे में लगभग पंद्रह टन खरबूज-तरबूज की खरीदी कर चुके व्यापारी मनोज साहू को लागत कैसे निकलेगी, इसकी चिंता सता रही है। वे राजधानी में आयुर्वेद कॉलेज के पास हर वर्ष खरबूज-तरबूज की दुकान लगाते हैं, शहर के अन्य इलाकों में भी इनकी कई दुकानें लगती हैं। उनका कहना है कि अभी दिन भर में सिर्फ दो से चार ग्राहक पहुंच रहे हैं।
प्रदेश के खरबूज-तरबूज की मांग न केवल प्रदेश भर में है, बल्कि साउदी अरब, दुबई आदि में भी है। खाड़ी देशों में बड़ी मात्रा में सप्लाई होती है, लेकिन इन दिनों कोरोना वायरस के कारण सप्लाई पूरी तरह से ठप है। राजधानी में राजिम, संबलपुर और शिवरीनारायण से खरबूज-तरबूज की आवक होती है। इनकी किरण, किरण-टू, ब्लैक मेजिक और नामधारी किस्म की मांग अधिक है। ऑफ सीजन में नागपुर से भी आवक होती है। वहां की किरण और ब्लैक मैजिक किस्म की मांग अधिक है।
मौसम से बचाने को अपनाई मल्चिंग पद्धति
आरंग के किसान सुनील ने बताया- तरबूज के फल को सहारे की जरूरत होती है साथ ही बारिश से भी बचाना होता है। इसलिए, मल्चिंग पद्धति अपनाई। 30 माइक्रान की पॉलीथिन का उपयोग किया। यह खेती मेरे लिए रिस्क थी, क्योंकि इसकी मार्केटिंग चुनौती से कम नहीं है।
लगभग 25 टन की बिक्री की उम्मीद थी, लेकिन बाहर सप्लाई नहीं होने से फसल की लागत नहीं निकल पाएगी। ऐसे में बैंक से लिया कर्ज कहां से भरेंगे, मजदूरी का भुगतान कैसे करेंगे, यह चिंता सता रही है।
देर से मंगाएंगे
शास्त्री मार्केट के होलसेल व्यापारी शिव भाई तरबूज वाले ने बताया कि स्थानीय स्तर पर तरबूज-खरबूज की फसल तैयार हो गई है। कुछ जगहों से आवक हो रही है। लॉकडाउन से किसानों, थोक व्यापारियों को दिक्कत होगी। इसलिए देरी से खरबूज-तरबूज को मंगाया जाएगा।