रायपुर ( नईदुनिया प्रतिनिधि)। Spiritual News: भगवान जगन्नाथ अपने भैया बलदेव और बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) में विराजित हैं। 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन बहुड़ा यात्रा की रस्म निभाएंगे। इस दिन भगवान अपने मूल मंदिर में वापस लौटेंगे। भगवान के वापस लौटते ही देवगणों का शयन काल शुरू हो जाएगा। इसे ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाएंगे। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होगी और चार माह तक सभी तरह के शुभ संस्कारों पर रोक लग जाएगी।
आखिरी मुहूर्त 16 को, फिर चार माह नहीं
ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार, जुलाई माह का आखिरी शुभ मुहूर्त 16 जुलाई को है। इसके पश्चात अगस्त, सितंबर, अक्टूबर माह में कोई मुहूर्त नहीं है। 15 नवंबर को माता तुलसी और सालिग्राम का विवाह हिंदू धर्म के हर घर-घर में संपन्न होगा। इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है, यानी इस दिन चार माह विश्राम करने के बाद देवगण जागेंगे। साथ ही शुभ मुहूर्तों की शुरूआत हो जाएगी। विवाह का पहला मुहूर्त 19 नवंबर को है। नवंबर में आठ और दिसंबर में सात शुभ मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे।
16 दिसंबर से खरमास
साल के आखिरी महीने में 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो जाने से फिर एक माह के लिए विवाह नहीं होंगे। अगले साल 2022 को 14 जनवरी, मकर संक्रांति के बाद फिर विवाह मुहूर्त की शुरुआत होगी।
जैन समाज का चातुर्मासिक प्रवचन
जैन धर्म के साधु-साध्वियों का प्रवचन सदरबाजार के ऋषभदेव जैन मंदिर, एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी, विवेकानंद नगर में संभवनाथ जैन मंदिर एवं टैगोर नगर में पटवा भवन में तैयारियां शुरू कर दी गई है। यहां चार माह तक सादगी से अथवा आनलाइन प्रवचन गंगा बहेगी।
नहीं होंगे ये संस्कार
- विवाह संस्कार
- मुंडन संस्कार
- जनेऊ संस्कार
- गृह प्रवेश
पूजा-तीर्थयात्रा शुभ
- व्रत
- पूजा- पाठ
- श्रीराम कथा-श्रीमद्भागवत कथा
- बृज क्षेत्र मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, गोवर्धन तीर्थ की यात्रा
शुभ मुहूर्त
माह- मुहूर्त
जुलाई- 15, 16
अगस्त कोई मुहूर्त नहीं
सितंबर कोई मुहूर्त नहीं
अक्टूबर कोई मुहूर्त नहीं
नवंबर- 19, 20, 21, 26, 27, 28, 29, 30
दिसंबर- 1, 2, 5, 7, 11, 12, 13