रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में तीन साल से छत्तीसगढ़ी भाषा में एमए की पढ़ाई शुरू हो चुकी है, लेकिन विडंबना ऐसी है कि आज तक स्नातक (बीए) और पीएचडी के लिए छत्तीसगढ़ी में रास्ता साफ नहीं हो पाया है। अब स्थिति ये हो चुकी है कि एमए छत्तीसगढ़ी करने के बाद छात्र अब भाषा विज्ञान में एमफिल करने के लिए मजबूर हो गए हैं। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग गठित होने के बाद छत्तीसगढ़ी शब्दकोश के लिए काम भी हुआ, लेकिन अभी तक छत्तीसगढ़ी मातृभाषा में शामिल नहीं हो पाई है। रविवि में एमए के लिए 40 सीट तीन साल पहले निर्धारित की गई थी एक बैच पढ़कर निकल भी चुका है। एमए करने के बाद उन्हें रोजगार किस तरह मिल पाएगा, यह भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
स्कूलों में भी छत्तीसगढ़ी विषय नहीं
प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में भी आज तक छत्तीसगढ़ी को नहीं पढ़ाया जा रहा है। अंग्रेजी, संस्कृत और हिन्दी तीन भाषाओं के बाद चौथी भाषा के रूप में पहली से पांचवीं तक की शिक्षा छत्तीसगढ़ी में देने का कोई प्रयास शासन ने नहीं किया है। संविधान की धारा 350 (क) भाग 17 के अध्याय 4 में 1950 से मातृभाषा में पढ़ाई का अधिकार दिया गया है। साथ ही 2009 में अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अध्याय 5 के तहत धारा 29 (च) में भी छत्तीसगढ़ी भाषा में शिक्षा की व्यवस्था दी गई है।
गोंडी, हलबी में अटका मामला
स्कूल शिक्षा विभाग में छत्तीसगढ़ी में पाठ्यक्रम लागू करने के लिए प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन बताया जाता है कि गोंडी और हलबी के शब्दों को हर क्षेत्र में नहीं पढ़ाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ी के ही शब्द अलग-अलग जगहों पर भिन्न होंने से एकरूपता नहीं आ पा रही है।
सालों तक चलते रहे आंदोलन
पिछले सालों में मातृभाषा में प्राइमरी तक की शिक्षा देने की मांग की जा रही है। अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह कहना है मातृभाषा छत्तीसगढ़ी में शिक्षा दिलवाने के लिए छत्तीसगढ़ी अस्मिता अभियान एवं छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना संस्था ने कई बार आंदोलन भी किए हैं। यहां के हर नेता छत्तीसगढ़ी में बतियाते हैं, मगर शिक्षा दिलवाने के मुद्दे पर आज तक काम नहीं हो पाया है।
छत्तीसगढ़ी को बीए में भी शामिल करने के लिए चर्चा की जा रही है। प्रस्ताव दिए जाएंगे। फिलहाल एमए में पढ़ाई करवाई जा रही है। जो एमए कर चुके हैं, उन्हें सरकारी नौकरी के लिए क्या प्रावधान किया जा सकता है, इस पर भी विचार चल रहा है।
- पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, सचिव
- फिलहाल तो रविवि में केवल एमए कोर्स चल रहा है। बीए में लागू करने के लिए कई स् तर पर फैसला लेना होगा। इसलिए अभी सिर्फ विचार चल रहा है।
- केके चंद्राकर, कुलसचिव, रविवि