Navratri 2022: 500 साल पहले बंजारों ने की थी प्रतिमा की स्थापना, इसलिए नाम पड़ा बंजारी मंदिर
Navratri 2022: 500 साल पहले गांव-गांव में घूमने वाले बंजारों ने इस गांव में डेरा डाला था। बंजर भूमि पर जमीन से देवी के मुख आकार का पत्थर दबा मिला। बंजारों ने उस पत्थर को अपनी कुल देवी मानकर स्थापित किया।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Tue, 27 Sep 2022 09:48:25 AM (IST)
Updated Date: Tue, 27 Sep 2022 09:48:25 AM (IST)

रायपुर। Navratri 2022: रेलवे स्टेशन से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर रोड पर स्थित रावांभाठा गांव में मुख्य सड़क पर स्थित है मां बंजारी मंदिर। लगभग 500 साल पहले गांव-गांव में घूमने वाले बंजारों ने इस गांव में डेरा डाला था। बंजर भूमि पर जमीन से देवी के मुख आकार का पत्थर दबा मिला। बंजारों ने उस पत्थर को अपनी कुल देवी मानकर स्थापित किया। कालांतर में यह मंदिर बंजारी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। साल की दो नवरात्र में भव्य मेला लगता है और हजारों मनोकामना जोत प्रज्वलित की जाती है।
विशेषता : बंजारी माता की मूर्ति बगलामुखी रूप में हैं। माता के अनेक भक्त यहां तांत्रिक पूजा भी करते हैं। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां ट्रस्ट समिति ने इंडिया गेट की तर्ज पर अमर जवान जोत प्रज्वलित की है। ट्रस्ट के नेतृत्व में संचालित गुरुकुल स्कूल के विद्यार्थी अमर जवान जोत के समक्ष सलामी देते हैं। श्रद्धालु भी अमर जवान जोत पर सलामी देने के पश्चात मंदिर में प्रवेश करते हैं।
स्वर्ग-नरक की झांकी
मंदिर परिसर में स्वर्ग-नरक की झांकी आकर्षण का केंद्र है। स्थायी रूप से बनाई गई झांकी में दिखाया गया है कि अच्छे कर्म करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और बुरे, पाप कर्म करने से नरक की यातना भोगनी पड़ती है। यातना की झांकी में यमदूतों द्वारा दिए जाने वाले कष्टों को चित्रित किया गया है। यहां बनी झांकी श्रद्धालुओं को अच्छा कार्य करने की प्रेरणा देती है।
मंदिर में आयोजन
मंदिर के प्रधान पुजारी पं. नरोत्तम चौबे बताते हैं कि इस साल शारदीय नवरात्र में दो साल बाद मंदिर परिसर में भव्य मेला का आयोजन किया गया है। मेला में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले, महिलाओं के लिए श्रृंगार सामग्री, विविध स्टाल लगाए गए हैं। इसके अलावा आसपास के गांवों से जसगीत मंडलियां पूरे नौ दिनों तक माता की भक्ति में जसगान की प्रस्तुति देंगे।
गुरुकुल-गोशाला में समाजसेवा की शिक्षा
ट्रस्ट अध्यक्ष हरीशभाई जोशी बताते हैं कि मंदिर समिति के नेतृत्व में गोशाला में बीमार गायों का पालन पोषण किया जा रहा है। साथ ही गुरुकुल में बच्चों को भारतीय संस्कारों की शिक्षा दी जाती है। गुरुकुल के बच्चे भी गोमाता की सेवा करते हैं।