रायपुर। मैगी पर चल रहे विवाद पर छत्तीसगढ़ में केस दर्ज होगा, क्योंकि राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की प्रयोगशाला में जांच में यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि मैगी के रैपर पर लिखा स्लोगन 'टेस्ट भी हेल्थ भी' मिसब्रांडिंग (मिथ्या) की पुष्टि करता है। 'नईदुनिया' ने सबसे पहले इसका खुलासा किया था। लेकिन नेस्ले कंपनी का मैगी ही एक मात्र अकेला प्रोडक्ट नहीं हैं, जिसके रैपर पर भ्रामक स्लोगन लिखा गया है।
21 फरवरी 2013 को जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. अश्वनी देवांगन ने विशाल मेगा मार्ट में छापा मारकर कार्रवाई कर भारी मात्रा में हॉर्लिक्स और 15 मई 2013 को एमवे इंडिया इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के 2 प्रोडक्ट न्यूट्रिलाइट किड्स ड्रिंक और प्रोटीन पाउडर की भी सैंपलिंग की थी। सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए थे।
हॉर्लिक्स के डिब्बों में मसल्स ग्रोथ, हाइट ग्रोथ और ब्रेन ग्रोथ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो खाद्य एवं मानक अधिनियम 2011 के तहत नहीं लिखे जा सकते। हालांकि हॉर्लिक्स के सैंपल की प्रारंभिक जांच रायपुर लैब में हुई थी, जिसे पास कर दिया गया था। लेकिन खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. देवांगन ने इसकी जांच रिपोर्ट को पुणे प्रयोगशाला में चुनौती दी, जहां से मिस-ब्रांडिंग की पुष्टि हुई। एमवे मल्टीनेशनल कंपनी के प्रोटीन पाउडर को भी मिस-ब्रांडिंग कर बेचा जा रहा था।
नियमानुसार सबसे अधिक मात्रा वाले पदार्थ का नाम और मात्रा का जिक्र सबसे ऊपर होना चाहिए, जो नहीं किया गया था। यह नियम का उल्लंघन है। इन दोनों कंपनियों के विरुद्ध डॉ. देवांगन द्वारा कोर्ट में केस दायर कर दिया गया है, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं आया है। अगर मार्केट में बारिकी से प्रोडेक्ट्स की जांच की जाए तो ऐसे कई प्रोड्क्ट मिलेंगे जो भ्रामक जानकारियों के जरिए लोगों को ललचा रहे हैं।
क्या होती है मिस ब्रांडिंग
मिस ब्रांडिंग का मतलब है मिथ्या प्रचार। अफसरों का कहना है कि अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए कंपनियां ग्राहकों को भ्रामक जानकारी देती हैं, जो पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। जांच रिपोर्ट के आधार पर यह भी पाया गया है कि अगर कंपनियां बता रही हैं कि उनके प्रोडक्ट से मसल्स, ब्रेन और हेल्थ ग्रोथ होता है तो वे बताएं कि उसमें ऐसा क्या मिलाया जाता है। अगर कुछ मिलाया गया है तो उसे लिखना भी आवश्यक है, जो नहीं लिखा गया है। अफसरों ने अपील की है कि ग्राहक ऐसे भ्रम में न पड़ें।
कोर्ट में लगाया जा चुका है केस
दोनों मल्टी-नेशनल कंपनियों के सैंपल जांच के लिए पुणे लैब भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट में मिस ब्रांडिंग की पुष्टि हुई है। हॉर्लिक्स और एमवे को नोटिस भेजी गई थी, जिसे उन्होंने वापस कर दिया। दोनों के विरुद्ध कोर्ट में केस लगाया जा चुका है। दोनों ही ब्रांड काफी महंगे हैं और ये भ्रामक विज्ञापन के जरिए लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।
- डॉ. अश्वनी देवांगन, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, रायपुर