राज्य ब्यूरो,नईदुनिया, रायपुर: रायपुर शहर से पकड़ा गया आठ लाख का इनामी माओवादी जग्गू कुरसम उर्फ रमेश शीर्ष माओवादियों के लिए छिपने के प्रबंध में लगा था। इसके लिए उसे प्रतिमाह 30 से 40 हजार रुपये भेजे जा रहे थे। रमेश पत्नी कमला के साथ किराये पर कमरा लेकर गरीब बस्ती में अत्यंत दयनीय हालत में रह रहा था। जांच एजेंसी को उसके घर से 10 ग्राम सोने के बिस्कुट और डेढ़ लाख रुपये मिले हैं।
दंपती पर कुल 13 लाख रुपए का इनाम घोषित है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जग्गू ने पूछताछ में बताया कि उसकी पहचान सामान्य नागरिक के रूप में बनी रहे, इसलिए वह अत्यंत दयनीय हालत में रायपुर में रहकर माओवादियों की अर्थव्यवस्था और सुरक्षित ठिकानों की जिम्मेदारी संभाल रहा था। वह लगातार संगठन के बड़े नेताओं के संपर्क में था और शहरों में सेलुलर नेटवर्क और संसाधन जुटाने में लगा था। रमेश के कमरे से जब्त संदिग्ध दस्तावेज और डिजिटल सबूत की जांच की जा रही है।
जग्गू लंबे समय से बीजापुर क्षेत्र से गायब था और उसके खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज हैं। उसे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिलों में माओवादी गतिविधियों का संचालन करने का अनुभव है। फिलहाल जांच एजेंसियां उससे गहन पूछताछ कर रही हैं ताकि माओवादी नेटवर्क के शहरी माड्यूल को उजागर किया जा सके।
जग्गू उर्फ रमेश कुरसम और कमला की मुलाकात माओवादी संगठन में प्रेम संबंध में बदल गई थी। इसके बाद उन्होंने शादी कर ली। इंटेलिजेंस को जब सूचना मिली कि मजदूरी और ड्राइविंग की आड़ में दंपती शहरी नेटवर्क मजबूत करने का काम कर रहे है,तब कॉल इंटरसेप्शन के जरिए दोनों को ट्रैक किया।
रायपुर से बस्तर क्षेत्र में संपर्क की तकनीकी जानकारी मिलने के बाद एसआइए और पुलिस ने दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया। कमला ने किराए पर कमरा लेते वक्त फर्जी आइडी दी थी। इसका सत्यापन मकान मालिक हेमंत देवांगन ने नहीं कराया था। हेंमत की पत्नी पुष्पा के अनुसार पहले कमरे में पवन नाम का युवक रहता था, जिसके जरिए ही दंपती ने कमरे की व्यवस्था की।
जग्गू कभी नक्सली भैरमगढ़ डिवीजनल कमेटी (डीवीसी) का सदस्य था और उस पर आठ लाख व उसकी पत्नी पर पांच लाख का इनाम था। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां पूछताछ कर माओवादी नेटवर्क से जुड़ी जानकारी जुटा रही हैं।