
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। भारत माला प्रोजेक्ट के तहत मुआवजा वितरण में हुए घोटाले में रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार, भारतीदासन, सर्वेश्वर भुरे और महासमुंद के तत्कालीन कलेक्टर जय प्रकाश मौर्या की भूमिका सवालों के घेरे में है। आरोप है कि जय प्रकाश मौर्या ने अपने ही परिवार के लोगों को करोड़ों का मुआवजा दिलवाया।
इसके बाद भी अब तक इन अफसरों को जांच के दायरे में नहीं लिया गया है। मामले में 43 करोड़ रुपए की अनियमितता पर एफआइआर दर्ज की जा चुकी है, जबकि शिकायतों के आधार घोटाले की राशि करीब 700 करोड़ आंकी जा रही है। कुछ कांग्रेसी नेताओं और एक पूर्व मंत्री का नाम भी जांच के दायरे में है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े करके गोलमाल किया गया।
इधर, रायपुर–विशाखापत्तनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत भारतमाला प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के घोटाले में एक बार फिर बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है। जांच एजेंसियों के संकेतों के मुताबिक इस मामले में जमानत पर बाहर आए आधा दर्जन से अधिक आरोपितों की दोबारा गिरफ्तारी हो सकती है। इसके अलावा चार आइएएस और दो राजनेता भी जांच के दायरे में हैं।
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