सतीश पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लंबे समय से फर्जी दस्तावेज के जरिए रह रहे तीन बांग्लादेशी भाइयों के गिरफ्त में आने की खबर लगते ही सरगना शेख अली बीते रविवार से गायब है। नईदुनिया ने शेख अली के बारे में पड़ताल की, तो पता चला कि बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ करने वालों की वह मदद करता था।
वह पैसे लेकर फर्जी वोटर आईडी, आधार कार्ड, पैनकार्ड, स्कूली शिक्षा का प्रमाणपत्र, जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, वीजा आदि बनवाकर कई लोगों को दुबई, बगदाद (इराक) और सीरिया भेज चुका है। मगर, इस बार सगे भाई मो. इस्माइल, शेख अकबर और शेख साजन का जन्मप्रमाण पत्र बनवाने के चक्कर में फंस गया।
फरार सरगना शेख अली की पत्नी शेख फरीदा ने नईदुनिया को बताया कि वह हमेशा अपने पति को गलत काम छोड़कर सही रास्ते पर चलने को कहती थी। मगर, वह नहीं माना। रविवार नौ जनवरी को वह बदहवास हालत में घर पहुंचा। अपने कपड़े आदि बैग में रखकर बाहर जा रहा हूं, कहकर निकल गया।
तब से उससे कोई संपर्क नहीं है। मोबाइल भी स्विच ऑफ है। पड़ोसियों ने शेख अली समेत पूरे परिवार की शुरू से गतिविधियां संदिग्ध होने और बात-बात पर विवाद करने की जानकारी दी।
शेख फरीदा का कहना है कि गलत कामों का विरोध करने पर शेख अली उसे और बेटे शेख फैज की पिटाई करता था। हमेशा चुपचाप घर में रहने को कहता था। मूलत: नागपुर (महाराष्ट्र) के मोमिनपारा की निवासी शेख फरीदा ने वर्ष 2025 में नागपुर में ही रह रहे शेख अली से निकाह किया था।
बाद में शेख अली ने एक और निकाह किया। वह कौन है, फरीदा को नहीं मालूम है। वर्ष 2012 से रायपुर के अलग-अलग इलाके में शेख अली सपरिवार रहता आ रहा है। फरीदा की बड़ी बेटी का निकाह हावड़ा, कोलकाता के पास हुआ है।
पिछले डेढ़ वर्ष से शेख अली टिकरापारा क्षेत्र की दावड़ा कालोनी के पास नहरपारा में कमल साहू के मकान में किरायेदार के रूप में रह रहा था। उसका परिवार अभी वहीं है। इससे पहले कृष्णानगर में रहते थे। पुलिस को शेख अली के भी बांग्लादेशी होने का शक है।
तीन दिन की रिमांड गुरुवार को खत्म होने पर तीनों बांग्लादेशी भाइयो को कोर्ट में पेश किया गया। एटीएस की ओर से आरोपितों से पूछताछ साथ ही दस्तावेज जब्त करने के लिए दोबारा दो दिन का और रिमांड मांगा गया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद रिमांड मंजूर कर आरोपितों को सौंपने के निर्देश दिए।
बांग्लादेशियों का रायपुर शहर में वर्षों से रहना और आसानी से फर्जी दस्तावेज बनवाकर दुबई, इराक, सीरिया और पाकिस्तान चले जाना राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा है। इससे पहले भी मुंबई एटीएस ने टिकरापारा के संजय नगर में छापा मारा था।
उस समय हज यात्रा पर गया युवक वापस नहीं लौटा और सीरिया चला गया था। टिकरापारा के संजय नगर क्षेत्र में सिमी के सक्रिय नेटवर्क का भी दस वर्ष पहले भंडाफोड़ हो चुका है।
पकड़े गए बांग्लादेशियों का पासपोर्ट रायपुर कार्यालय से ही बनवाया गया है। आरोपितों ने रायपुर के किसी भी स्कूल में पढ़ाई नहीं की। मगर, फर्जी अंकसूची के आधार पर उनकी जन्म तिथि प्रमाणित हो गई। इसी से आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बन गए।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पासपोर्ट बनाने के दौरान पुलिस वेरिफिकेशन होता है। इन तीनों का भी पुलिस वेरिफिकेशन टिकरापारा पुलिस थाने से हुआ होगा। उस समय भी यह फर्जीवाड़ा पकड़ में नहीं आया। मिश्राबाड़ा के मकान मालिक रिटायर्ड बैंककर्मी योगेश्वर मिश्रा ने भी तीनों भाइयों के संदिग्ध होने की जानकारी थाने में नहीं दी थी। हालांकि, किरायानामा जरूर जमा किया था।
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नियमानुसार, शपथ-पत्र बनवाने के लिए आवेदक को तहसील कार्यालय जाना होता है। मगर, मो.इस्माइल से मात्र दो हजार रुपये लेकर शेख अली ने नोटराइज शपथ पत्र बनवा लिया। शपथ-पत्र में इस्माइल की जगह दूसरे व्यक्ति को खड़ाकर हस्ताक्षर कराया गया था। इस सबंध में एटीएस ने आधा दर्जन से अधिक नोटरी (अधिवक्ताओं) का बयान दर्ज किया है।